Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. ३० : उ. २ : सू. ३६-४२
भगवती सूत्र
दूसरा उद्देशक
३६. भन्ते ! अनन्तर- उपपन्न (प्रथम समय के) - नैरयिक-जीव क्या क्रियावादी ... पृच्छा । गौतम ! अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक-जीव क्रियावादी भी होते हैं यावत् वैनयिकवादी भी होते हैं।
३७. भन्ते ! लेश्या -युक्त - अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक- जीव क्या क्रियावादी होते हैं...? इसी प्रकार जानना चाहिए। इसी प्रकार जैसे प्रथम उद्देशक में नैरयिक- जीवों की वक्तव्यता है वैसे ही यहां भी वक्तव्य है, केवल इतना अन्तर है- अनन्तर - उपपन्न - नैरयिक जीवों में जो-जो बोल प्राप्त हैं वे वे वक्तव्य हैं। इसी प्रकार सभी जीवों के विषय में यावत् वैमानिक - देवों के विषय में वक्तव्य हैं, केवल इतना अन्तर है- अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के) - जीवों के विषय में जो बोल जहां प्राप्त हैं वे बोल वहां वक्तव्य हैं।
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३८. भन्ते ! क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक- जीव क्या नैरयिक आयु का बन्ध करते हैं..... पृच्छा ।
गौतम ! क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक- जीव नैरयिक आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक आयु का बन्ध नहीं करते, मनुष्य-आयु का बन्ध नहीं करते, देव- आयु का बन्ध नहीं करते। इसी प्रकार अक्रियावादी भी, अज्ञानिकवादी भी और वैनयिकवादी भी जानना चाहिए।
३९. भन्ते ! लेश्या - युक्त क्रियावादी- अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के) - नैरयिक- जीव क्या नैरयिक- आयु का बन्ध करते हैं... पृच्छा ।
गौतम ! लेश्या - युक्त क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न - नैरयिक- जीव नैरयिक- आयु का बन्ध नहीं करते यावत् देव-आयु का बन्ध नहीं करते। इसी प्रकार यावत् वैमानिक तक। इसी प्रकार अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक- जीव सभी स्थानों में (सभी बोलों में) किसी भी आयुष्य का बन्ध नहीं करते यावत् अनाकारोपयुक्त तक व्यक्तव्य हैं। इसी प्रकार यावत् वैमानिक तक वक्तव्य हैं, केवल इतना अन्तर है- जो बोल जिसमें हैं वे उसमें वक्तव्य हैं। ४०. भन्ते ! क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक-जीव क्या भवसिद्धिक हैं ? अभवसिद्धिक हैं ?
गौतम ! क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न - नैरयिक- जीव भवसिद्धिक हैं, अभवसिद्धिक नहीं हैं। ४१. भन्ते ! अक्रियावादी के विषय में.... पृच्छा ।
गौतम ! अक्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न (प्रथम समय के ) - नैरयिक-जीव भवसिद्धिक भी हैं, अभवसिद्धिक भी हैं। इसी प्रकार अज्ञानिकवादी भी और वैनयिकवादी भी ज्ञातव्य हैं।
४२. भन्ते! लेश्या - युक्त क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न ( प्रथम समय के ) - नैरयिक- जीव क्या भवसिद्धिक हैं? अभवसिद्धिक हैं ?
गौतम! लेश्या युक्त-क्रियावादी - अनन्तर - उपपन्न-नैरयिक- जीव भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं होते। इसी प्रकार इस अभिलाप के द्वारा जैसे औधिक उद्देशक में
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