Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सैंतीसवां शतक
पहला उद्देशक
महायुग्म - त्रीन्द्रियों में उपपात - आदि-पद
१. भन्ते ! कृतयुग्म - कृतयुग्म त्रीन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं....? इसी प्रकार कृतयुग्म - कृतयुग्म - त्रीन्द्रिय-जीवों के विषय में भी बारह शतक द्वीन्द्रिय- शतक के समान बतलाने चाहिए, केवल इतना अन्तर है - इन जीवों की अवगाहना जघन्यतः अंगुल का असंख्यातवां भाग है, उत्कर्षतः तीन गव्यूत है । इन जीवों की स्थिति जघन्यतः एक समय, उत्कर्षतः उन्चास रात्री - दिन हैं, शेष उसी प्रकार समझना चाहिए। (भ. ३६ । २)
२. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है ।
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