Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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५
(दोनों बार
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४
४
१९३९ ३, ४
अशुद्ध हैं। इसी प्रकार
वैमानिकों की सिद्धों की
(एक) जीव
है.....? पृच्छा । है, यावत्
वैमानिकों की अपेक्षा....? पृच्छा।
(एक) जीव
१ हैं.....? पृच्छा ।
२
(अनेक) जीव मनुष्यों
सिद्धों
कार्मक
अपेक्षा
५.
६
है यावत् कल्योज नहीं है
अपेक्षा से (अनेक)
है, यावत् स्यात् कल्योज है,
है, यावत् कल्योज भी है।
से वक्तव्य
को वक्तव्यता
है....? पृच्छा । आभिनिबोधिक ज्ञान (एक) जीव
है, यावत्
वैमानिक की
जीव......? पृच्छा । आभिनिबोधिक ज्ञान (अनेक) जीव
एकेन्द्रिय को वैमानिकों की की भी
वक्तव्यता केवल इतना की
होता है। शेष
है......? पृच्छा । केवल ज्ञान
वक्तव्यता। केवल इतना पर्यव केवल वक्तव्य है।
है; इस प्रकार वैमानिक
सिद्ध
(एक) (जीव)
है पृच्छा।
है यावत्
शुद्ध
(एक) वैमानिक
अपेक्षा - पृच्छा। (अनेक) (जीव) हैं यावत् कल्योज नहीं हैं। अपेक्षा (अनेक )
हैं यावत् स्यात् कल्योज हैं,
हैं यावत् कल्योज भी हैं। वक्तव्य
की (अपेक्षा) वक्तव्यता है - पृच्छा । (आभिनिबोधिक ज्ञान (एक) जीव)
हे यावत् वैमानिक जीव पृच्छा । (आभिनिबोधिक ज्ञान (अनेक) जीव) - एकेन्द्रियों
वैमानिक
की अपेक्षा भी
वक्तव्यता, इतना की अपेक्षा होता है, शेष
है - पृच्छा । (केवल ज्ञान
(एक) जीव)
हैं पृच्छा । (अनेक) जीव) मनुष्य
सिद्ध
कर्मक
अपेक्षा भी
(वक्तव्य है, इतना
पर्यवों की अपेक्षा (वक्तव्य है)।
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८०१ १४० ३ अविकल रूप में
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८०६ १६७ १३
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५
८०५ १६७ ६-७ है।
१४
३
१६९ | १
सेज (कम्पन वाले) हैं ? या सर्वतः भी सैज
है यावत्
जो
अशुद्ध
हे यावत् वैमानिकों परमाणु- पुद्गल पुद्गलों
हैं। यावत् बहुत हैं........?
स्कध
ant, your.....?
की, पृच्छा.....।
प्रदेशावगाढ़ और हैं........?
की भी
पुद्गलों की वक्तव्यता है पुद्गलों
द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा ही स्थिति के असंख्येय-गुणा-कृष्ण -पुद्गलों का अल्पबहुत्व (भ. २५ / १६३)
पुद्गलों के
इतना
द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा
निरवशेष
(अथवा )
उनमें जो
है ?..... पृच्छा।
सेज हैं? (अथवा ) (अथवा ) सर्वतः सैज
शुद्ध
है (नैरयिक) यावत् उनमें जो
है (नैरयिक) यावत् वैमानिक
(परमाणु- पुद्गल) पुद्गल
हैं यावत् बहुत हैं ?
स्कंधों
की - पृच्छा
की -पृच्छा
प्रदेशावगाढ़ पुद्गलों और हैं ?
की अपेक्षा भी
प्रदेश की अपेक्षा पूर्ववत्। केवल (वक्तव्यता ), इतना
पुद्गल (उक्त हैं)
पुद्गल
द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षाही विभिन्न स्थिति (वाले पुद्गलों) के असंख्येय-गुण-कृष्ण -पुद्गलों (संख्येय- प्रदेश स्कंधों आदि का अल्पबहुत्व (भ. २५ / १६३) प्रतिपादित किया गया, पुद्गलों आदि के
हैं। प्रदेश की अपेक्षा- इसी प्रकार
द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षालघु (पुद्गलों)
लघु-स्पर्शो
रूक्ष- स्पर्शो का अल्पबहुत्व भी वर्णों रूक्ष पुद्गलों का अल्पबहुत्व भी वर्ण
(वाले पुद्गलों)
गौतम ! कृतयुग्म
गौतम! (एक) (परमाणु-पुद्गल द्रव्य
की अपेक्षा) कृतयुग्म हैं-पृच्छ ।
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१७८ १ ८०७ १७८ २
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३
३
१७८३-८
३
४,८
४,८
५
६
अशुद्ध
गौतम! ओघादेश
हैं, यावत्
गौतम! कृतयुग्म
स्कंध .....? पृच्छा।
गौतम ! कृतयुग्म
स्कंध .....? पृच्छा ।
गौतम ! कृतयुग्म
स्कंध.....? पृच्छा। गौतम ! कृतयुग्म
स्कन्ध (एक)
की भांति है (भ. २५ / १७० ) भन्ते! प्रदेश की अपेक्षा (एक) स्कन्ध......? पृच्छा। गौतम ! स्यात्
पुद्गल स्कन्ध की भी,
पुद्गल स्कन्ध भी।
हैं......? पृच्छा । गौतम! ओघादेश
हैं, यावत्
स्कन्ध.....? पृच्छा। गौतम! ओघादेश
स्कन्ध.....? पृच्छा। गौतम! ओघादेश
स्कन्ध.....? पृच्छा। गौतम! ओघादेश
स्कन्ध
-पुद्गलों की
(भ. २५ / १७६) । (अनेक)
स्कन्धों की
(भ. २५ / १७६) । (अनेक ) स्कन्धों की
(भ. २५/ १७७ (अनेक)
शुद्ध
गौतम! (अनेक) (परमाणु- पुद्गल द्रव्
की अपेक्षा) ओघादेश
हैं यावत्
गौतम! (एक) (परमाणु- पुद्गल प्रदेश
की अपेक्षा) कृतयुग्म
स्कंध पृच्छा।
गौतम! (द्विप्रदेशिक स्कन्ध) प्रदेश की
अपेक्षा कृतयुग्म
स्कंध - पृच्छा।
गौतम! (एक) (त्रिप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्म ) स्कंध पृच्छा ।
गौतम! (एक) (चतुःप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्म ) स्कन्ध (प्रदेश की अपेक्षा) (एक)
(भ. २५/१७०) की भांति है। भन्ते ! (एक)
स्कन्ध (प्रदेश की अपेक्षा ) – पृच्छा । गौतम! (एक) (संख्यात प्रदेशिक
पुद्गल स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा) स्यात् पुद्गल-स्कन्ध भी,
पुद्गल स्कन्ध भी ( वक्तव्य है)। है-पृच्छा ।
गौतम! ((अनेक) परमाणु-पुद्गल
प्रदेश की अपेक्षा) ओघादेश
हैं यावत् । स्कन्ध-पृच्छा।
गौतम! ((अनेक) द्विप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा ओघादेश)
स्कन्ध-पृच्छा।
गौतम! ((अनेक) त्रिप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा ओघादेश) स्कन्ध-पृच्छा।
गौतम ((अनेक) चतुःप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेश की अपेक्षा ओघादेश) स्कन्ध (प्रदेश की अपेक्षा)
- पुद्गलों (भ. २५ / १७५) की
। (अनेक) स्कन्धों (भ. २५/१७६) की । (अनेक)
स्कन्धों (भ. २५/१७७) की । (अनेक)