Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 565
________________ सत्र पृष्ठ सूत्र पंक्ति | अशुद्ध ७९६ १००, २ | पद बहुवक्तव्यता' 'बहुक्क्त व्यता-(पद)' २ जीव ३सिद्धा २ | विशेषाधिक है?) २ | हैं जैसे कृतयुग्म श्रेणियां विशेषाधिक हैं?) हैं, जैसे कृतयुग्म (भ. २५/५४) ही (वक्तव्य है) है (युग्म चार प्रज्ञप्त है)। जैसे–कृतयुग्म (यावत् कल्योज)? अशुद्ध जीव) ३ भी। भी (वक्तव्य है)। सिद्ध (वक्तव्य है)। हैं.....? पृच्छा । हैं पृच्छा। | अपेक्षा से अनेक जीव अपेक्षा (अनेक) (जीव) ३ अपेक्षा से जीव (अनेक) (जीव) १ जीव......? पृच्छा। जीव-पृच्छा। २ | अपेक्षा से स्यात् (अनेक) नैरयिक |अपेक्षा स्यात् (अनेक) (नैरयिक) ३ अपेक्षा से (अनेक) अपेक्षा (अनेक) ३,४ | है। युग्म चार प्रज्ञप्त हैं। २ | जैसे कृतयुग्म.....? अर्थ अर्थ अपेक्षा) २ चार | (चार १ | है......? पृच्छा। है-पृच्छा। अपेक्षा पृच्छा। १ के.....? पृच्छा। के पृच्छा। १ | जीव स्यात् कृतयुग्म जीव (स्यात् कृतयुग्म) ३,४ स्यात् कृतयुग्म यावत् कल्योज होते | (स्यात् कृतयुग्म यावत् कल्योज होते| २,३ | (एक) जीव १२२| ३ | है, यावत् | ४ यावत् वैमानिक २ गौतम ! प्रदेश | सिद्ध (अनेक) जीव नैरयिकों वैमानिकों सिद्ध.....? पृच्छा। (एक) (जीव) है यावत् यावत् (एक) वैमानिक गौतम ! (प्रदेश सिद्ध) (अनेक) (जीव) नैरयिक वैमानिक | सिद्ध-पृच्छा। पृष्ठ | सूत्र पंक्ति अशुद्ध ३ आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य (आकाश-प्रदेश की श्रेणियां द्रव्य की की अपेक्षा अपेक्षा) आकाश-प्रदेश की श्रेणियों (आकाश-प्रदेश की श्रेणियां लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियों लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां | श्रेणियों आकाश-प्रदेश की श्रेणियों (आकाश-प्रदेश की श्रेणियां अपेक्षा.....? पृच्छा। अपेक्षा पृच्छा। | लोकाकाश-प्रदेश (लोकाकाश-प्रदेश अपेक्षा लम्बी श्रेणियां भी, लम्बी (श्रेणियां) भी, लम्बी श्रेणियां भी। लम्बी (श्रेणियां) भी (वक्तव्य है)। अपेक्षा.....? पृच्छा। गौतम! ऊर्ध्व-अधः गौतम! (ऊर्ध्व-अधः अपेक्षा अपेक्षा) वाली नहीं है, वाली नहीं हैं, वाली नहीं है। वाली नहीं हैं। अपेक्षा.....? अपेक्षा पृच्छा। अलोकाकाश-प्रदेश (अलोकाकाश-प्रदेश २ अपेक्षा अपेक्षा) -४,४ आकाश-प्रदेश की श्रेणियां (आकाश-प्रदेश की श्रेणियां) | ५ |आकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी, (आकाश-प्रदेश की श्रेणियां) भी (वक्तव्य हैं), २ प्रज्ञप्त हैं जैसे प्रज्ञप्त हैं, जैसे परमाणु-पुद्गलों की गति (परमाणु-पुद्गलों की गति) की वक्तव्यता (की वक्तव्यता) २ रत्नप्रभा-पृथ्वी के (रत्नप्रभा-पृथ्वी के) ३ उद्देशक की उद्देशक (भ. १/२१२-२१५) की २ आचार यावत् आचार (भ. २०/७५) यावत् १,२ वह आचार क्या है? वह आचार क्या है? आचार में आचार में ४ सूत्र की (सू. ८१-१२७) की यावत्-अनुयोग की विधि यावत् अनुयोग की विधि ६ का बोध। का बोध ॥१॥ १ नैरयिक, यावत् नैरयिक यावत् १ | कितने किनसे ३ |इन पांच गतियों के समास (वर्ग) में | (इन पांच गतियों के समास (वर्ग) में) में अल्पबहुत्व की का अल्पबहुत्व पद 'बहुवक्तव्यता' |'बहुक्क्त व्यता(-पद) ४,६ की वक्तव्यता की भांति (वक्तव्य है)। ५ के बहुत्व की का अल्पबहुत्व पद 'बहु वक्तव्यता |'बहु वक्तव्यता-पद' १ यावत् चतुरिन्द्रिय और अनिन्द्रिय यावत अनिन्द्रिय ७९८ (द्रव्य ११२ ,, १ अपेक्षा..... अपेक्षा)१११| २ |जीवास्तिकाय द्रव्य की अपेक्षा (जीवास्तिकाय द्रव्य की अपेक्षा) कृतयुग्म हैं। कृतयुग्म है। २ योज नहीं हैं, द्वापरयुग्म नहीं हैं योज नहीं है, द्वापरयुग्म नहीं है, ७९८ १११ नहीं हैं। नहीं है। १ | अपेक्षा.....? पृच्छा | अपेक्षा)-पृच्छा। २ | गौतम ! पुद्गलास्तिकाय गौतम ! (पुद्गलास्तिकाय अपेक्षा स्यात् अपेक्षा) स्यात् ३ अद्धासमय की अद्धासमय कृतयुग्म है.....? पृच्छा। कृतयुग्म है-पृच्छा। २ गौतम ! धर्मास्तिकाय गौतम! (धर्मास्तिकाय अपेक्षा) १.२ | अपेक्षा कौन किससे अल्प, बहुत, अपेक्षा० (कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है। तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं)? ३ | तीसरे पद 'बहुवक्तव्यता' | तीसरे 'बहुवक्तव्यता-(पद) | प्रज्ञप्त है वैसा ही निरवशेष वक्तव्य (उक्त है) वैसा ही निरवशेष (वक्तव्य १ | है.....? पृच्छा। २ जीव है-पृच्छा । (जीव) अपेक्षा २ | है, यावत् | हैं, यावत् १ नैरयिक.....? पृच्छा । २ | नैरयिक जीव | हैं, यावत् ५ एकेन्द्रिय की जीव १ | है.....? पृच्छा। २ जीव नैरयिक.....? पृच्छा । हे यावत् हैं यावत् नैरयिक-पृच्छा। (नैरयिक जीव) हैं यावत् | एकेन्द्रिय जीव | (जीव) नैरयिक-पृच्छा। नैरयिक (नैरयिक) १ धर्मास्तिकाय यदि यदि (धर्मास्तिकाय) ५ करने है, करने वाला है, | १३ | धर्मास्तिकाय (धर्मास्तिकाय) । ११७/ २ | है.....? पृच्छा। ७९८ | ११७/५,६ | इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय और इस प्रकार अधर्मास्तिकाय भी (क्क्तव्य | इसी प्रकार आकाशास्तिकाय की है)। इस प्रकार आकाशास्तिकाय भी वक्तव्यता (वक्तव्य है)। ७९८/११७/६ अद्धासमय की भी पूर्ववत् वक्तव्यता अद्धासमय इसी प्रकार (वक्तव्य है)। ११९| १ |है.....? पृच्छा। २ द्रव्य (द्रव्य है यावत् वैमानिक २ है, यावत् वैमानिक की | सिद्ध की | जीव.....? पृच्छा। २ जीव २,४ | हे, यावत् जीव-पृच्छा। (जीव) हैं यावत्

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