Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सूत्र पंक्ति- अशुद्ध ७ ८ ९८ किससे
किनसे विशेषाधिक है?
विशेषाधिक हैं? जीव हैं। चतुरिन्द्रिय उससे जीव हैं, चतुरिन्द्रिय-जीव उनसे त्रीन्द्रिय उससे
त्रीन्द्रिय-जीव उनसे द्वीन्द्रिय उससे
द्वीन्द्रिय-जीव उनसे २ वह यहां
वैसे ही यहां अवगाढ़ है।
अवगाढ़ है? अवगाढ़ हैं।
अगाढ़ है। ३ जैसे द्वितीय
द्वितीय संख्येय भाग
संख्येय-भाग अवगाढ़ है?
अक्गाढ़ है?-पृच्छा २ संख्यातवें भाग में
संख्यातवें-भाग में असंख्यातवें भाग में असंख्यातवें-भाग में ६ | इस प्रकार (चारित्र-धर्म के वाचक) उस प्रकार के (चारित्र-धर्म के वाचका
१०४,
५
उस प्रकार
तथा प्रकार वीची, अंबरिस,
वीचि,
अर्त
पृष्ठ | सूत्र पंक्ति अशुद्ध ६७१/ ९६ | ३ |सम्यक्-मिथ्या-दृष्टि-निवृत्ति सम्यग्-मिथ्या-दृष्टि-निवृत्ति ९९ | २ | मनो-योग-निवृत्ति
मन-योग-निवृत्ति ६७१ के प्रज्ञप्त हैं?
का प्रज्ञप्त है। २ के प्रज्ञप्त हैं,
का प्रज्ञप्त है। १ कितने करण प्रज्ञप्त हैं? करण कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? २ पांच करण प्रज्ञप्त हैं, (नरयिकों के) करण पांच प्रकार का
प्रज्ञप्त है, ६७१ १ के प्रज्ञप्त हैं?
का प्रज्ञप्त है? १०५
,, | २ | पांच प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, ६७१ १०५/ २ | के प्रज्ञप्त हैं,
का प्रज्ञप्त है, ६७२ १११/ २ शतक में दीपकुमार उद्देशक शतक में जैसा द्वीपकुमार-उद्देशक ६७२ | १११/२-३ की वक्तव्यता यावत् अल्पर्द्धिक हैं। (उक्त है) वैसा यावत् अल्पर्द्धिक हैं
तक (वक्तव्य है)।
शतक २० ६७३ | सं.गा. १ |४. परमाणु,
|४. उपचय, ५. परमाणु, | २ सोपक्रम-जीव।
सोपक्रम जीव ।।१।। | १ राजगृह नगर यावत्
राजगृह (भ. १/१०) यावत् यावत् गौतम ने इस यावत् (गौतम ने) इस द्वीन्द्रिय
द्वीन्द्रिय२ जीव
शतक (भ. १९/२२) में तैजस- शतक में तैजसकायिक जीवों की
कायिक जीवों की वक्तव्यता यावत् वक्तव्यता (भ. १९/२२) यावत् ५ हैं। नियमतः
हैं। नियमतः (सम्यग्-दृष्टि की अपेक्षा) और दो
और (मिथ्या-दृष्टि की अपेक्षा) नियमत | त्रीन्द्रिय जीवों
त्रीन्द्रिय-जीव जीवों
-जीव ., में, स्थिति
में और स्थिति ६ स्थिति की
स्थिति ३ है, तीन दृष्टि,
हैं, दृष्टि तीनों ही ३-४ ज्ञान चार,
चार ज्ञान ४ रहे हैं किन्तु
रहे हैं, किन्तु २ | इष्ट-अनिष्ट, रूप
इष्ट-अनिष्ट रूप,
रहे हैं, किन्तु | १ | हैं? पृच्छा ।
हैं-पृच्छा । | ५ | ये जीव हमारे वधक हैं, 'ये जीव हमारे वधक हैं',
सर्वार्थसिद्ध तक से होता है। सर्वार्थसिद्ध से। | ९ | केवली
केवलि७ | ९ समुद्घात।
समुद्घात, ७१०,११ यावत् सर्वार्थसिद्ध तक । (सर्वार्थसिद्ध यावत् सर्वार्थसिद्ध में । (पण्णवणा
में संयत ही उत्पन्न होते हैं।) (पण्णवणा -११३) शेष द्वीन्द्रिय की भांति -११३), शेष द्वीन्द्रियों की भांति
अंबरस, अट्ट उस प्रकार
पृष्ठ | सूत्र पंक्ति अशुद्ध ६७७ २८ | ३ | प्रज्ञप्त हैं । यदि
प्रज्ञप्त है। यदि | ३ प्रज्ञप्त है। यदि
प्रज्ञप्त है।
___ यदि | नौले
नीले (बहुवचन) ५ काले
काले (बहुवचन) लाल हैं।
लाल (बहुवचन) हैं। ६,७,८ साथ
साथ भी (सर्वत्र)
८ | पीला २० | चार भंग वक्तव्य हैं। यदि तीन स्पर्श चार भंग वक्तव्य हैं। वाला है?
यदि तीन स्पर्श वाला है? यहां तीन
यहां भी तीन | स्कन्ध-स्पर्श
स्कन्ध में स्पर्श | देश शीत (बहुवचन) देश शीत (बहुवचन), अठारहवें शतक.....
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। ४ | यदि एक
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। | शुक्ल है। यदि दो वर्ण वाला है? शुक्ल है।
यदि दो वर्ण वाला है? वक्तव्यता । यदि तीन स्पर्श वाला है । वक्तव्य है।
| यदि तीन स्पर्श वाला है? | ३० | १,२ प्रज्ञप्त हैं?
प्रज्ञप्त है? अठारहवें शतक..... अठारहवें शतक...... ६८०३०,३६३,४ | वक्तव्यता । यदि तीन वर्ण वाला है? वक्तव्य हैं।
| यदि तीन वर्ण वाला है? २,३ | प्रज्ञप्त हैं।
प्रज्ञप्त है। यदि एक वर्ण वाला है? | यदि एक वर्ण वाला है?
२ | पांच-प्रदेशी स्कन्ध..... यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। ६८१ | पांच-प्रदेशी
पंचप्रदेशिक यदि एक वर्ण वाला है? यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। स्पर्श प्रज्ञप्त हैं।
स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। यदि एक यदि एक वर्ण वाला है? वर्ण वाला है? स्पर्श प्रज्ञप्त हैं।
स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। चार स्पर्श प्रज्ञप्त हैं।
चार स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। १,२ वर्ण वाला है?
वर्ण वाला है ०? इस प्रकार.... | इस प्रकार.... २,३ आठ स्पर्श प्रज्ञप्त हैं।
आठ स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। ३६ ४,३३/ सर्व कर्कश.....
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। ३९ | ,, | २७ सर्व गुरु.......
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। ,, ३५,३७ सर्व मृदु..
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। ३६४५,४८ सर्व गुरु.
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। ., १.७४ सर्व शीत.
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है। .. [५४ छह स्पर्श.
यह पैरा पिछले पैरे के साथ है।
चेता,
| इस प्रकार
चेदा, हिंदुक,
इस प्रकार ६७६ ३ स्कन्ध, जो अन्य भी इस ६७६ २१ शीर्षक गर्भ-अवक्रममाण के वर्ण
आदि-पद २१ / १ अवक्रमण ६७६ / २१ १ गंध, कितने
६८२
२ रस २,३ | परिणामों शीर्षक २ |है, अकर्म
१ परमाणु पुद्गल | ७ स्यात्
|. है । स्यात् " , स्यात् उष्ण २६ ७(दोनों |स्पर्श वाला
बार),८
उस प्रकार स्कन्ध जो अन्य भी उस गर्भ में अवक्रममाण के वर्णआदि का पद उत्पन्न गंध, (इस प्रकार भ. १२/११९, |१२०) कितने स्पर्श परिणाम कर्मतः विभक्ति-पद हे? अकर्म परमाणु-पुद्गल १. स्यात् है। २.स्यात् ३. स्यात् उष्ण
२७ | ११ |यदि दोस्पर्श वाला है।
| २ अठारहवें शतक.....
है। ४. स्यात् यदि दो स्पर्श वाला है? यह पैरा पिछले पैरे के साथ है।