Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. ३५ : उ. १ : सू. ११-१९
गया है)। इन जीवों की स्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त, उत्कर्षतः बाईस हजार वर्ष की होती है। ये जीव प्रथम चार प्रकार के समुद्घात करते हैं। मारणन्तिक-समुद्घात से समवहत हो कर भी मरते हैं, समवहत न होकर भी मरते हैं। इन जीवों का उद्वर्तन जैसा उत्पल-उद्देशक (भ. ११।३९) में बतलाया गया है वैसा बतलाना चाहिए। १२. भन्ते! सभी प्राण यावत् सभी सत्त्व (सब प्राण, भूत, जीव और सत्त्व) क्या कृतयुग्म
-कृतयुग्म-एकेन्द्रिय-जीवों के रूप में पहले उत्पन्न हुए हैं? हां, गौतम! (सभी प्राण, भूत, जीव ओर सत्त्व) कतयग्म-कतयग्म-एकेन्द्रिय-जीवों के रूप में
अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं। १३. भन्ते! कृतयुग्म-त्र्योज-एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं...? इन जीवों का उत्पाद वैसा ही बतलाना चाहिए (जैसा कृतयुग्म-कृतयुग्म-एकेन्द्रिय-जीवों का (भ. ३५।३) में बतलाया गया है)। १४. भन्ते! वे (कृतयुग्म-त्र्योज-एकेन्द्रिय)-जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ?......पृच्छा । गौतम! वे (कृतयुग्म-त्र्योज-एकेन्द्रिय)-जीव एक समय में उन्नीस उत्पन्न होते हैं अथवा संख्येय उत्पन्न होते हैं अथवा असंख्येय उत्पन्न हेते हैं अथवा अनन्त उत्पन्न होते हैं, शेष जैसा कृतयुग्म-कृतयुग्म-एकेन्द्रिय-जीवों के उत्पाद के विषय में बतलाया गया है (भ. ३५-१२) यावत् 'अनन्त बार' तक वैसा ही बतलाना चाहिए। १५. भन्ते! कृतयुग्म-द्वापरयुग्म-एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं? इन जीवों का
उत्पाद वैसा ही बतलाना चाहिए। (जैसा भ. ३५।३ में बतलाया गया है।) १६. भन्ते! वे (कृतयुग्म-द्वापरयुग्म-एकेन्द्रिय)-जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं....पृच्छा । गौतम! वे (कृतयुग्म-द्वापरयुग्म-एकेन्द्रिय)-जीव एक समय में अट्ठारह उत्पन्न होते हैं अथवा संख्येय उत्पन्न होते हैं अथवा असंख्येय उत्पन्न होते हैं अथवा अनन्त उत्पन्न होते हैं, शेष जैसा कृतयुग्म-कृतयुग्म-एकेन्द्रिय-जीवों के उत्पाद के विषय में बतलाया गया है यावत् 'अनन्त बार' तक वैसा ही बतलाना चाहिए। १७. भन्ते! कृतयुग्म-कल्योज-एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं? इन जीवों का उत्पाद वैसा ही बतलाना चाहिए। इन जीवों का परिमाण सत्रह अथवा संख्येय अथवा असंख्येय अथवा अनन्त होता है, शेष उसी प्रकार बतलाना चाहिए यावत् 'अनन्त बार' तक। १८. भन्ते! त्र्योज-कृतयुग्म-एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं....? इन जीवों का उत्पाद वैसा ही बतलाना चाहिए। इन जीवों का परिमाण बारह अथवा संख्येय अथवा असंख्येय अथवा अनन्त होता है, शेष उसी प्रकार बतलाना चाहिए यावत् 'अनन्त बार' तका १९. भन्ते! त्र्योज-त्र्योज-एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं....? इन जीवों का
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