Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 509
________________ भगवती सूत्र श. ३५ : उ. २-६ : सू. २३-३२ समय तक रहते हैं । ७. इसी प्रकार उनकी स्थिति भी बतलानी चाहिए- एक समय की स्थिति होती है । ८. वे पहले दो प्रकार के समुद्घात करते हैं (वेदना और कषाय ) । ९. (मारणान्तिक-समुद्घात से) समवहत होकर ( इस विषय में) प्रश्न नहीं करना चाहिए (क्योंकि मारणान्तिक-समुद्घात नहीं होता) १०. इन जीवों के उद्वर्तना के विषय में नहीं पूछना चाहिए (क्योंकि इनकी उद्वर्तना नहीं होती), शेष सारा सम्पूर्ण रूप से सोलह ही गमकों में वैसा ही बतलाना चाहिए यावत् 'अनन्तर बार' तक । २४. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है। तीसरा - ग्यारहवां उद्देशक (तीसरा उद्देशक) २५. भन्ते ! अप्रथम समय (पहला समय छोड़कर) के कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं..? जैसा प्रथम उद्देशक में सोलह ही युग्मों के विषय में बतलाया गया वैसा ही यह विषय बतलाना चाहिए यावत् 'कल्योज- कल्योज' तक यावत् 'अनन्त बार' तक बतलाना चाहिए । २६. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है । (चौथा उद्देशक) २७. भन्ते! चरम समय के कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं..? इसी प्रकार जैसा प्रथम समय के कृतयुग्म - कृतयुग्म एकेन्द्रिय-जीवों के विषय में औधिक- उद्देशक में (दस नानात्व बतलाये गये) वैसा ही यहां बतलाना चाहिए, केवल इतना अन्तर है- इनमें देवता उत्पन्न नहीं होते, तेजोलेश्या के विषय में नहीं पूछना चाहिए, शेष उसी प्रकार वक्तव्य है । २८. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है । (पांचवां उद्देशक) २९. भन्ते ! अचरम समय (अन्तिम समय छोड़कर) के कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं....? जैसा अप्रथम- समय उद्देशक (तीसरा उद्देशक) बतलाया गया है वैसा सम्पूर्ण रूप से बतलाना चाहिए। (पहला, तीसरा और पांचवां उद्देशक एक समान हैं, उनमें दस प्रकार के नानात्व नहीं है) । ३०. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है । (छट्टा उद्देशक) ३१. भन्ते ! प्रथम - प्रथम समय (जो एकेन्द्रिय जीव प्रथम समय में उत्पन्न हैं तथा कृतयुग्म- कृतयुग्मत्व के अनुभव के प्रथम समय में वर्तमान हैं) के कृतयुग्म- कृतयुग्म - एकेन्द्रिय-जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं...? जैसा प्रथम-समय- उद्देशक में पहला उद्देशक बतलाया गया है वैसा सम्पूर्ण रूप से बतलाना चाहिए । - ३२. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है-इस प्रकार भगवान गौतम यावत् संयम और तप से अपने आप को भावित करते हुवे विहरण कर रहे हैं । ९२७

Loading...

Page Navigation
1 ... 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590