Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. २५ : उ. २ : सू. १२-२०
भगवती सूत्र गौतम! चार प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-स्कन्ध, स्कन्ध-देश, स्कन्ध-प्रदेश, परमाणु-पुद्गल । १३. भन्ते! वे क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं? अनन्त हैं?
गौतम! संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं। १४. भन्ते! यह किसी अपेक्षा से कहा जा रहा है-संख्येय नहीं है, असंख्येय नहीं है, अनन्त हैं? गौतम! परमाणु-पुद्गल अनन्त हैं, द्वि-प्रदेशी स्कन्ध अनन्त हैं यावत् दश-प्रदेशी-स्कन्ध अनन्त हैं, संख्येय-प्रदेशी स्कन्ध अनन्त हैं, असंख्येय-प्रदेशी स्कन्ध अनन्त हैं, अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध अनन्त हैं। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है संख्येय नहीं है, असंख्येय नहीं है, अनन्त हैं। १५. भन्ते! जीव-द्रव्य क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं? अनन्त हैं?
गौतम! संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं। १६. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है जीव-द्रव्य संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं? गौतम! नैरयिक-जीव असंख्येय हैं, यावत् वायुकाय के जीव असंख्येय हैं, वनस्पतिकाय के जीव अनन्त हैं, द्वीन्द्रिय-जीव असंख्येय हैं, इसी प्रकार यावत् वैमानिक-जीव असंख्येय हैं, सिद्ध अनन्त हैं। इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है यावत् जीव-द्रव्य अनन्त हैं। जीवों का अजीव परिभोग-पद १७. भन्ते! क्या जीव-द्रव्य अजीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं? अथवा क्या अजीव-द्रव्य जीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं? गौतम! जीव-द्रव्य अजीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं, अजीव-द्रव्य जीव-द्रव्यों का परिभोग नहीं करते। १८. भन्ते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है जीव-द्रव्य अजीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं, अजीव-द्रव्य जीव-द्रव्यों का परिभोग नहीं करते? गौतम! जीव-द्रव्यों अजीव-द्रव्यों का पर्यादान (ग्रहण) करते हैं, पर्यादान कर उन्हें
औदारिक-, वैक्रिय-, आहारक-, तैजस-, और कार्मण-(शरीर), श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शनेन्द्रिय, मन-योग, वचन-योग, काय-योग और आनापान के रूप में निष्पन्न करते हैं। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है जीव-द्रव्य अजीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं,
अजीव-द्रव्य जीव-द्रव्यों का परिभोग नहीं करते। १९. भन्ते! क्या नैरयिक अजीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं? क्या अजीव-द्रव्य नैरयिकों का परिभोग करते हैं? गौतम! नैरयिक अजीव-द्रव्यों का परिभोग करते हैं, अजीव-द्रव्य नैरयिकों का परिभोग नहीं
करते। २०. यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है?
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