Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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तीसवां शतक
पहला उद्देशक समवसरण-पद १. भन्ते! समवसरण कितने प्रज्ञप्त हैं? गौतम! समवसरण चार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-क्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानिकवादी और
वैनयिकवादी। २. भन्ते! जीव क्या क्रियावादी हैं? अक्रियावादी हैं? अज्ञानिकवादी हैं? वैनयिकवादी हैं? गौतम! जीव क्रियावादी भी हैं, अक्रियावादी भी हैं, अज्ञानिकवादी भी हैं, वैयिकवादी भी
३. भन्ते! लेश्या-युक्त-जीव क्या क्रियावादी हैं.....? पृच्छा। गौतम! लेश्या-युक्त-जीव क्रियावादी भी है, अक्रियावादी भी है, अज्ञानिकवादी भी है और
वैनयिकवादी भी हैं। इसी प्रकार यावत् शुक्ल-लेश्या वाले जीवों की वक्तव्यता। ४. भन्ते! लेश्या-रहित-जीवों की ............? पृच्छा। गौतम! लेश्या-रहित-जीव क्रियावादी हैं, अक्रियावादी नहीं हैं, अज्ञानिकवादी नहीं हैं,
वैनयिकवादी नहीं हैं। ५. भन्ते! कृष्णपाक्षिक-जीव क्या क्रियावादी हैं........? पृच्छा। गौतम! कृष्णपाक्षिक-जीव क्रियावादी नहीं हैं, अक्रियावादी हैं, अज्ञानिकवादी भी हैं, वैनयिकवादी भी हैं। शुक्लपाक्षिक-जीवों की लेश्या-युक्त-जीवों की भांति वक्तव्यता। सम्यग्-दृष्टि-जीवों की लेश्या-रहित-जीवों की भांति वक्तव्यता। मिथ्या-दृष्टि जीवों की कृष्ण-पाक्षिक जीवों की भांति वक्तव्यता। ६. सम्यग्-मिथ्या-दृष्टि-जीवों की ...........? पृच्छा। गौतम! सम्यग्-मिथ्या-दृष्टि वाले जीव क्रियावादी नहीं हैं, अक्रियावादी नहीं हैं, अज्ञानिकवादी भी हैं, वैनयिकवादी भी हैं । ज्ञानी यावत् केवलज्ञानी की लेश्या-रहित-जीवों की भांति वक्तव्यता। अज्ञानी यावत् विभंग-ज्ञानी की कृष्णपाक्षिक-जीवों की भांति वक्तव्यता। आहार-संज्ञा-उपयुक्त-जीव यावत् परिग्रह-संज्ञा-उपयुक्त-जीव लेश्या-युक्त-जीवों की भांति वक्तव्यता। नोसंज्ञा-उपयुक्त-जीव की लेश्या-रहित-जीवों की भांति
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