Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
श. २५ : उ. ६ : सू. ३७९-३९१
भगवती सूत्र गौतम! स्नातक लेश्या-युक्त होता है अथवा लेश्या-मुक्त होता है। ३८०. यदि स्नातक लेश्या-युक्त होता है, तो भन्ते! वह कितनी लेश्याओं से युक्त होता है?
गौतम! एक परम-शुक्ल-लेश्या वाला होता है। परिणाम-पद ३८१. भन्ते! क्या पुलाक वर्धमान परिणाम वाला होता है? हीयमान परिणाम वाला होता है?
अवस्थित परिणाम वाला होता है? गौतम! वर्धमान परिणाम वाला होता है अथवा हीयमान परिणाम वाला होता है अथवा
अवस्थित परिणाम वाला होता है। इसी प्रकार यावत् कषाय-कुशील की वक्तव्यता। ३८२. निर्ग्रन्थ...........? पृच्छा (भ. २५/३८१)। गौतम! वर्धमान परिणाम वाला होता है, हीयमान परिणाम वाला नहीं होता अथवा अवस्थित परिणाम वाला होता है। इसी प्रकार स्नातक की भी वक्तव्यता। ३८३. भन्ते! पुलाक कितने काल तक वर्धमान परिणाम वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त। ३८४. पुलाक कितने काल तक हीयमान परिणाम वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त। ३८५. पुलाक कितने काल तक अवस्थित परिणाम वाला होता है? गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः सात समय। इसी प्रकार यावत् कषाय-कुशील की
वक्तव्यता। ३८६. भन्ते! निर्ग्रन्थ कितने काल तक वर्धमान परिणाम वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः भी अन्तर्मुहूर्त। ३८७. निर्ग्रन्थ कितने काल तक अवस्थित परिणाम वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त । ३८८. भन्ते! कितने काल तक वर्धमान परिणाम वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः भी अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः भी अन्तर्मुहूर्त । ३८९. स्नातक कितने काल तक अवस्थित परिणाम वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः देशोन-कोटि-पूर्व। बन्ध-पद ३९०. भन्ते! पुलाक कितनी कर्म-प्रकृतियों का बन्ध करता है?
गौतम! आयुष्य-कर्म को छोड़कर सात कर्म-प्रकृतियों का बन्ध करता है। ३९१. बकुश..........? पृच्छा (भ. २५/३९०)। गौतम! सात प्रकार की कर्म-प्रकृतियों का बंध करने वाला अथवा आठ प्रकार की कर्म
८३२