Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ७ : सू. ४९९-५०६
कषाय-पद ४९९. भन्ते! क्या सामायिक-संयत कषाय-सहित होता है? कषाय-रहित होता है? गौतम! कषाय-सहित होता है, कषाय-रहित नहीं होता। कषाय-कुशील की भांति वक्तव्यता (भ. २५/३६९,३७०)। इसी प्रकार छेदोपस्थापनिक-संयत की भी वक्तव्यता। परिहार-विशुद्धिक-संयत की पुलाक की भांति वक्तव्यता (भ. २५/३६७,३६८)। ५००. सूक्ष्मसम्पराय-संयत ..........? पृच्छा (भ. २५/४९९)।
गौतम! कषाय-सहित होता है, कषाय-रहित नहीं होता। ५०१. यदि कषाय-सहित होता है तो भन्ते! वह कितने कषायों से युक्त होता है? गौतम! केवल एक संज्वलन-लोभ-युक्त होता है। यथाख्यात-संयत की निर्ग्रन्थ की भांति वक्तव्यता (भ. २५/३७१,३७२)। लेश्या -पद ५०२. भन्ते! क्या सामायिक-संयत लेश्या-सहित होता है? लेश्या-रहित होता है? गौतम! सामायिक-संयत लेश्या-सहित होता है (भ. २५/३७५,३७६) कषाय-कुशील की भांति वक्तव्यता। इसी प्रकार छेदोपस्थापनिक-संयत की भी वक्तव्यता। परिहारविशुद्धिक-संयत की पुलाक की भांति (भ. २५/३७३,३७४)। सूक्ष्मसम्पराय-संयत की निर्ग्रन्थ की भांति (भ. २५/३७७,३७८)। यथाख्यात-संयत की स्नातक की भांति वक्तव्यता (भ. २५/३७९,३८०), केवल इतना विशेष है-यदि लेश्या-युक्त होता है तो केवल एक शुक्ल-लेश्या-युक्त होता है। परिणाम-पद ५०३. भन्ते! क्या सामायिक-संयत वर्धमान-परिणाम वाला होता है? हीयमान-परिणाम वाला होता है? अवस्थित-परिणाम वाला होता है? गौतम! वर्धमान-परिणाम वाला होता है पुलाक की भांति वक्तव्यता (भ. २५/३८१)। इसी प्रकार यावत् परिहारविशुद्धिक-संयत की भी वक्तव्यता। ५०४. सूक्ष्मसम्पराय-संयत........पृच्छा (भ. २५/५०३)। गौतम! वर्धमान-परिणाम वाला होता है अथवा हीयमान-परिणाम वाला होता है, अवस्थित-परिणाम वाला नहीं होता। यथाख्यात-संयत की निर्ग्रन्थ की भांति वक्तव्यता (भ. २५/ ३८२)। ५०५. भन्ते! सामायिक-संयत कितने काल तक वर्धमान-परिणाम वाला होता है? गौतम! जघन्यतः एक समय... पुलाक की भांति वक्तव्यता (भ. २५/३८३)। इसी प्रकार यावत् परिहार-विशुद्धिक-संयत की वक्तव्यता। ५०६. भन्ते! सूक्ष्मसम्पराय-संयत कितने काल तक वर्धमान-परिणाम वाला होता है? गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त।
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