Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ९-१२ : सू. ६३२-६३६ ६३२. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। (ग्यारहवां उद्देशक) ६३३. भन्ते! सम्यग्-दृष्टि-नैरयिक-जीव किस प्रकार से उपपन्न होते हैं? गौतम! जिस प्रकार कोई प्लवक कूदता हुआ.....शेष पूर्ववत्। इसी प्रकार एकेन्द्रिय को छोड़कर यावत् वैमानिक (भ. २५/६२०-६२७) की वक्तव्यता। ६३४. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। (बारहवां उद्देशक) ६३५. भन्ते! मिथ्या-दृष्टि-नैरयिक-जीव किस प्रकार उपपन्न होते हैं? गौतम! जिस प्रकार कोई प्लवक कूदता हुआ....शेष पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत् वैमानिक (भ. २५/६२०-६२७) की वक्तव्यता। ६३६. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है।
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