Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २६ : उ. १ : सू. ४-१६ ४. भन्ते! क्या लेश्या-रहित-जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था....? पृच्छा। (भ. २६/१)
गौतम! लेश्या-रहित-जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था, नहीं कर रहा है, नहीं करेगा। ५. भन्ते! कृष्णपाक्षिक-जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था.....? पृच्छा। (भ. २६/१) गौतम! किसी कृष्णपाक्षिक-जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था, प्रथम और द्वितीय भंग
वक्तव्य है। ६. भन्ते! शुक्लपाक्षिक-जीव.......? पृच्छा। (भ. २६/१)
गौतम! शुक्लपाक्षिक-जीव के विषय में चार भंग वक्तव्य है। (भ. २६/१) ७. सम्यग्-दृष्टि-जीव के चार भंग, मिथ्या-दृष्टि-जीव के प्रथम और द्वितीय दो भंग। सम्यग्-मिथ्या-दृष्टि-जीव के इसी प्रकार (प्रथम दो भंग) वक्तव्य हैं। ८. ज्ञानी-जीव के चार भंग वक्तव्य हैं। आभिनिबोधिक-ज्ञानी यावत् मनःपर्यव-ज्ञानी के चार
भंग, केवल-ज्ञानी के लेश्या-रहित की भांति अंतिम भंग वक्तव्य है। ९. अज्ञानी जीव के प्रथम और द्वितीय दो भंग, इसी प्रकार मति-अज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी और
विभंग-ज्ञानी की वक्तव्यता। १०. आहार-संज्ञा में उपयुक्त यावत् परिग्रह-संज्ञा में उपयुक्त-जीव के प्रथम और द्वितीय दो
भंग। नो-संज्ञा-उपयुक्त के चार भंग वक्तव्य है। ११. सवेदक जीव के प्रथम और द्वितीय दो भंग। इसी प्रकार स्त्री-वेदक, पुरुष-वेदक और
नपुंसक-वेदक जीव की भी वक्तव्यता। अवेदक के चार भंग की वक्तव्यता। १२. कषाय-रहित जीव के चार भंग, क्रोध-कषाय-सहित के प्रथम और द्वितीय दो भंग। इसी प्रकार मान-कषाय-सहित और माया-कषाय-सहित के भी दो भंग वक्तव्य है, लोभ-कषाय-सहित के चार भंग वक्तव्य है। १३. भन्ते! क्या कषाय-रहित जीव के पाप-कर्म का बन्ध किया था......? पृच्छा। (भ. २६/१) गौतम! किसी कषाय-रहित जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था, नहीं कर रहा है, करेगा। किसी अकषायी जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था, नहीं कर रहा है, नहीं करेगा। १४. सयोगी जीव के चार भंग। इसी प्रकार मन-योगी, वचन-योगी और काय-योगी जीवों के
भी चार भंग वक्तव्य है। अयोगी जीव के अंतिम भंग की वक्तव्यता। १५. साकार-उपयोग-युक्त जीव के चार भंग, अनाकार-उपयोग-युक्त जीव के भी चार भंग
वक्तव्य है। नैरयिक-आदि और लेश्यादि से विशेषित-नैरयिक-आदि जीवों का बन्धाबन्ध-पद १६. भन्ते! क्या नैरयिक-जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था, कर रहा है, करेगा? गौतम! किसी नैरयिक-जीव ने पाप-कर्म का बन्ध किया था, प्रथम और द्वितीय भंग की वक्तव्यता।
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