Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सत्ताईसवां शतक
पहला-ग्यारहवां उद्देशक जीवों का पाप-कर्म-करण-अकरण-पद १. भन्ते! जीव ने क्या पाप-कर्म किया था, करता है, करेगा? जीव ने कया पाप-कर्म किया था, करता है, नहीं करेगा? जीव ने क्या पाप-कर्म किया था, नहीं करता, करेगा? जीव ने क्या पाप-कर्म किया था, नहीं करता है, नहीं करेगा? गौतम! किसी जीव ने पाप-कर्म किया था, करता है, करेगा; किसी जीव ने पाप-कर्म किया था, करता है, नहीं करेगा; किसी जीव ने पाप कर्म किया था, नहीं करता, करेगा; किसी जीव ने पाप-कर्म किया था, नहीं करता, नहीं करेगा। २. भन्ते! लेश्या-युक्त जीव ने क्या पाप-कर्म किया था, करता है और करेगा? इसी प्रकार इस अभिलाप के द्वारा बन्धि-शतक में जो वक्तव्यता, निरवशेष वक्तव्यता। उसी प्रकार नवदण्डक (भ. २६/३४) में संगृहीत ग्यारह उद्देशक वक्तव्य हैं।
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