Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ६ : सू. ३९१-३९९ -प्रकृतियों को बंध करने वाला होता है। वह सात कर्म-प्रकृतियों को बंध करता हुआ आयुष्य-कर्म को छोड़ कर सात कर्म-प्रकृतियों का बंध करता है। आठ कर्म-प्रकृतियों का बंध करता हुआ प्रतिपूर्ण आठ कर्म-प्रकृतियों का बंध करता है। इसी प्रकार प्रतिषेवणा-कुशील
की भी वक्तव्यता। ३९२. कषाय-कुशील............? पृच्छा (भ. २५/३९०)। गौतम! सात प्रकार की कर्म-प्रकृतियों का बंध करने वाला अथवा आठ प्रकार की कर्म-प्रकृतियों का बंध करने वाला अथवा छह प्रकार की कर्म प्रकृतियों का बंध करने वाला होता है। वह सात कर्म-प्रकृतियों का बंध करता हुआ आयुष्य-कर्म को छोड़कर सात कर्म-प्रकृतियों का बंध करता है, आठ कर्म-प्रकृतियों को बंध करता हुआ प्रतिपूर्ण आठ कर्म-प्रकृतियों को बांधता है, छह कर्म-प्रकृतियों का बंध करता हुआ आयुष्य-कर्म और मोहनीय-कर्म को छोड़कर छह कर्म-प्रकृतियों का बंध करता है। ३९३. निर्ग्रन्थ..........? पृच्छा (भ. २५/३९०)।
गौतम! एक वेदनीय-कर्म का बन्ध करता है। ३९४. स्नातक.........? पृच्छा (भ. २५/३९०)। गौतम! स्नातक एक कर्म-प्रकृति का बंध करने वाला होता है अथवा अबन्धक-बंध नहीं करने वाला होता है। एक कर्म-प्रकृति का बंध करता हुआ केवल वेदनीय-कर्म का बंध करता
वेदन-पद ३९५. भन्ते! पुलाक कितनी कर्म-प्रकृतियों का वेदन करता है? गौतम! नियमतः आठ कर्म-प्रकृतियों का वेदन करता है। इसी प्रकार यावत् कषाय-कुशील
की वक्तव्यता। ३९६. निर्ग्रन्थ ............? पृच्छा (भ. २५/३९५)।
गौतम! मोहनीय-कर्म को छोड़कर सात कर्म-प्रकृतियों का वेदन करता है। ३९७. स्नातक ..............? पृच्छा (भ. २५/३९५)।
गौतम! वेदनीय, आयुष्य, नाम और गोत्र-इन चार कर्म-प्रकृतियों का वेदन करता है। उदीरणा-पद ३९८. भन्ते! पुलाक कितनी कर्म-प्रकृतियों की उदीरणा करता है? गौतम! आयुष्य- और वेदनीय-कर्म को छोड़कर छह कर्म-प्रकृतियों की उदीरणा करता है। ३९९. बकुश.........? पृच्छा (भ. २५/३९८)। गौतम! सात प्रकार की कर्म-प्रकृतियों की उदीरणा करता है अथवा आठ प्रकार की कर्म-प्रकृतियों की उदीरणा करता है अथवा छह प्रकार की कर्म-प्रकृतियों की उदीरणा करता है। सात कर्म-प्रकृतियों की उदीरणा करता हुआ आयुष्य कर्म को छोड़कर सात कर्म-प्रकृतियों
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