Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ६ : सू. ४२९-४३८
४२९. (अनेक) बकुश .........? पृच्छा (भ. २५/४२४)। गौतम! सर्व काल तक रहते हैं। इसी प्रकार यावत् कषाय-कुशीलों की वक्तव्यता। (अनेक) निर्ग्रन्थ (अनेक) पुलाक की भांति वक्तव्यता (भ. २५/४२८)। (अनेक) स्नातक की (अनेक) बकुश की भांति वक्तव्यता। अन्तर-पद ४३०. भन्ते! (एक) पुलाक के पुनः पुलाक होने में कितने काल का अन्तर होता है? गौतम! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः अनन्त काल-काल की अपेक्षा अनन्त अवसर्पिणी-उत्सर्पिणी, क्षेत्र की अपेक्षा देशोन-अपार्ध-पुद्गल-परावर्तन। इसी प्रकार यावत् निर्ग्रन्थ की वक्तव्यता। ४३१. (एक) स्नातक.........? पृच्छा (भ. २५/४३०)।
गौतम! अन्तर नहीं होता। ४३२. भंते! (अनेक) पुलाक के पुलाक होने में कितने काल का अंतर होता है?-(अनेक) पुलाक-निर्ग्रन्थों की अपेक्षा से कितने काल का विरह हो सकता है? गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः संख्येय वर्ष काल । ४३३. (अनेक जीवों की अपेक्षा से काल का अन्तर) भन्ते! (अनेक) बकुश-निर्ग्रन्थों के कितने काल का अन्तर होता है-(अनेक) बकुश-निर्ग्रन्थों की अपेक्षा से कितने काल का विरह हो सकता है (भ. २५/४३२)? गौतम! बकुश-निर्ग्रन्थों के अन्तर नहीं होता। इसी प्रकार यावत् कषाय-कुशील की वक्तव्यता। ४३४. (अनेक जीवों की अपेक्षा से काल का अन्तर) भन्ते! (अनेक) निर्ग्रन्थ..... पृच्छा (भ.
२५/४३२)। गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः छह मास। (अनेक) स्नातक की (अनेक) बकुश की
भांति वक्तव्यता। समुद्घात-पद ४३५. भन्ते! पुलाक के कितने समुद्घात प्रज्ञप्त हैं? गौतम! तीन समुद्घात प्रज्ञप्त हैं, जैसे-वेदना-समद्घात, कषाय-समुद्घात और मारणांतिक-समद्घात। ४३६. भन्ते! बकुश .............? पृच्छा (भ. २५/४३५)। गौतम! पांच समुद्घात प्रज्ञप्त हैं, जैसे-वेदना-समुद्घात यावत् तेजस्-समुद्घात। इसी प्रकार प्रतिषेवणा-कुशील की भी वक्तव्यता। ४३७. कषाय-कुशील ........? पृच्छा (भ. २५/४३५)। गौतम! छह समुद्घात प्रज्ञप्त हैं, जैसे-वेदना-समुद्घात यावत् आहारक-समुद्घात । ४३८. निर्ग्रन्थ ..............? पच्छा (भ. २५/४३५)।
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