Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
श. २५ : उ. ४ : सू. १८४-१९२
भगवती सूत्र हैं, योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं है, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं है, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ है। १८५. द्वि-प्रदेशी स्कन्ध........? पृच्छा। गौतम! ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं, योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं है, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं है, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं है; विधानादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ भी हैं, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ भी हैं। १८६. (अनेक) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध.......? पृच्छा। गौतम! ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं, योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं; विधानादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, योज-प्रदेशावगाढ़ भी हैं, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ भी हैं, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ भी हैं। १८७. (अनेक) चतुः-प्रदेशी स्कन्ध.........? पृच्छा। गौतम! ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं, योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं है; विधानादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ भी हैं यावत् कल्योज-प्रदेशावगाढ़ भी हैं। इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध
वक्तव्य हैं। १८८. भन्ते! (एक) परमाणु-पुद्गल क्या कृतयुग्म-समय की स्थिति वाला है.....? पृच्छा। गौतम! स्यात् कृतयुग्म-समय की स्थिति वाला है यावत् स्यात् कल्योज-समय की स्थिति वाला है। इसी प्रकार यावत् (एक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य हैं। १८९. भन्ते! (अनेक) परमाणु-पुद्गल क्या कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले हैं......? पृच्छा। गौतम! ओघादेश से स्यात् कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले हैं यावत् स्यात् कल्योज-समय की स्थिति वाले हैं; विधानादेश से कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले भी हैं यावत् कल्योज-समय की स्थिति वाले भी हैं। इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध
वक्तव्य हैं। १९०. भन्ते! (एक) परमाणु-पुद्गल कृष्ण-वर्ण-पर्यवों की अपेक्षा क्या कृतयुग्म है? योज है?..... पृच्छा । जैसे स्थिति की वक्तव्यता वैसे ही सभी वर्गों के पर्यवों की वक्तव्यता। इसी प्रकार (सभी) गन्धों के पर्यवों की, रसों के पर्यवों की यावत् मधुर-रस के पर्यवों की वक्तव्यता। १९१. भन्ते! (एक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध कर्कश-स्पर्श-पर्यवों की अपेक्षा क्या कृतयुग्म है......? पृच्छा । गौतम! कर्कश-स्पर्श-पर्यवों की अपेक्षा स्यात् कृतयुग्म है यावत् स्यात् कल्योज है। १९२. भन्ते! (अनेक) अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध कर्कश-स्पर्श-पर्यवों की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं ?......पृच्छा । गौतम! अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध कर्कश-स्पर्श-पर्यवों की अपेक्षा–ओघादेश से स्यात् कृतयुग्म हैं, यावत् स्यात् कल्योज हैं; विधानादेश से कृतयुग्म भी हैं, यावत् कल्योज भी हैं। इसी प्रकार
८०८