Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ४ : सू. १९२-२०२
मृदु-, गुरु- और लघु-स्पर्शो के पर्यव भी वक्तव्य हैं। शीत-, उष्ण-, स्निग्ध- और रूक्ष- स्पर्शो के पर्यव वर्ण के पर्यवों की भांति वक्तव्य हैं।
१९३. भन्ते ! (एक) परमाणु- पुद्गल क्या स अर्ध है ? अनर्थ है ?
गौतम ! स - अर्ध नहीं है, अनर्थ है ।
१९४. भन्ते! (एक) द्वि- प्रदेशी स्कन्ध
? पृच्छा ।
गौतम ! स - अर्ध है, अनर्थ नहीं है । (एक) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध (एक) परमाणु- पुद्गल (भ. २५/१९३) की भांति है। (एक) चतुः प्रदेशी स्कन्ध (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है। (एक) पंच- प्रदेशी स्कन्ध (एक) त्रिप्रदेशी स्कन्ध की भांति है । (एक) षट् प्रदेशी स्कन्ध (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है। (एक) सप्त- प्रदेशी स्कन्ध (एक) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है। (एक) अष्ट-प्रदेशी स्कन्ध (एक) द्वि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है । (एक) नव-प्रदेशी स्कन्ध (एक) त्रि-प्रदेशी स्कन्ध की भांति है । (एक) दस-प्रदेशी स्कन्ध (एक) द्वि- प्रदेशी स्कन्ध की भांति है।
१९५. भन्ते ! (एक) संख्येय- प्रदेशी स्कन्ध...
.? पृच्छा ।
गौतम ! स्यात् स - अर्ध है, स्यात् अनर्थ है । इसी प्रकार (एक) असंख्येय- प्रदेशी स्कन्ध भी, इसी प्रकार (एक) अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध भी वक्तव्य है ।
१९६. भन्ते! (अनेक) परमाणु- पुद्गल क्या स अर्ध हैं ? अनर्ध हैं ?
गौतम! स-अर्ध हैं अथवा अनर्थ हैं । इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य
हैं ।
१९७. भन्ते ! (एक) परमाणु- पुद्गल क्या सैज (सप्रकम्प ) है ? निरेज है ?
गौतम ! स्यात् सैज है, स्यात् निरेज है। इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त-प्र वक्तव्य हैं।
- प्रदेशी स्कन्ध
१९८. भन्ते ! (अनेक) परमाणु- पुद्गल क्या सैज हैं ? निरेज हैं ?
गौतम ! सैज भी हैं, निरेज भी हैं । इसी प्रकार यावत् (अनेक) अनन्त प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य हैं ।
१९९. भन्ते ! (एक) परमाणु- पुद्गल काल की दृष्टि से सैज कितने समय तक रहता है ? गौतम ! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः आवलिका का असंख्यातवां भाग ।
२००. भन्ते ! (एक) परमाणु- पुद्गल काल की दृष्टि से निरेज कितने समय तक रहता है ? गौतम! (एक) परमाणु-पुद्गल काल की दृष्टि से जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः असंख्येय काल । इसी प्रकार यावत् (एक) अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध वक्तव्य है।
२०१. भन्ते ! (अनेक) परमाणु- पुद्गल काल की दृष्टि से सैज कितने समय तक रहते हैं? गौतम! सर्वकाल ।
२०२. भन्ते ! (अनेक) परमाणु- पुद्गल काल की दृष्टि से निरेज कितने समय रहते हैं?
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