Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
भगवती सूत्र
अल्पबहुत्व उसी प्रकार (सू. ५० ) औधिक वक्तव्य है।
१०० भन्ते ! जीव, पुद्गल, अद्धासमय, सर्व द्रव्य, सर्व- प्रदेश और सर्व पर्यवों में कौन किनसे अल्प, बहुत तुल्य या विशेषाधिक हैं? पण्णवणा के तीसरे पद 'बहुवक्तव्यता' (सू. १२४) की भांति वक्तव्यता ।
श. २५ : उ. ३,४ : सू. ९९-११०
१०१. भन्ते ! आयुष्य-कर्म के बन्धक और अबन्धक जीवों में (कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है ?) पण्णवणा के तीसरे पद 'बहुवक्तव्यता' (सू. १७४) की भांति वक्तव्यता यावत् आयुष्य-कर्म के अबन्धक विशेषाधिक होते हैं ।
१०२. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही T
चौथा उद्देशक
युग्म पद
१०३. भन्ते ! युग्म कितने प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम ! युग्म चार प्रज्ञप्त हैं जैसे - कृतयुग्म यावत् कल्योज ।
१०४. भन्ते ! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है -युग्म चार प्रज्ञप्त हैं - कृतयुग्म यावत् कल्योज? इसी प्रकार जैसा भगवती के अठारहवें शतक के चौथे उद्देशक (सू. ९०) में बताया गया है वैसा ही यावत् गौतम ! यह इस अपेक्षा से कहा जा रहा है । युग्म चार प्रज्ञप्त हैं ।
१०५. भन्ते! नैरयिकों के कितने युग्म प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम! नैरयिकों के चार युग्म प्रज्ञप्त हैं, जैसे- कृतयुग्म यावत् कल्योज |
१०६. भन्ते ! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है - नैरयिकों के चार युग्म प्रज्ञप्त हैं, जैसे - कृतयुग्म. ...? अर्थ पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् वायुकायिक- जीवों के चार युग्म प्रज्ञप्त हैं १०७. भन्ते! वनस्पतिकायिकों के ? पृच्छा ।
1
गौतम! वनस्पतिकायिक-जीव स्यात् कृतयुग्म होते हैं, स्यात् त्र्योज होते हैं, स्यात् द्वापरयुग्म होते हैं, स्यात् कल्योज होते हैं ।
१०८. भन्ते ! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है - वनस्पतिकायिक- जीव स्यात् कृत्युग्म यावत् कल्योज होते हैं ?
गौतम! उत्पत्ति की अपेक्षा से । इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है- स्यात् कृतयुग्म यावत् कल्योज होते हैं। द्वीन्द्रियों की नैरयिकों की भांति वक्तव्यता । इसी प्रकार यावत् वैमानिकों की वक्तव्यता । सिद्धों की वनस्पतिकायिक- जीवों की भांति वक्तव्यता ।
१०९. भन्ते ! सर्व द्रव्य कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम ! सर्व द्रव्य छः प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे- धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय यावत्
अद्धासमय ।
भन्ते! धर्मास्तिकाय द्रव्य की अपेक्षा क्या कृतयुग्म है यावत् कल्योज है ?
७९७
११०.