Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. २५ : उ. ३ : सू. ७७-८५
भगवती सूत्र प्रकार दक्षिण-उत्तर की ओर लम्बी अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी प्रकार ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। ७८. भन्ते! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा क्या संख्येय हैं...? जैसी द्रव्य की अपेक्षा वक्तव्यता है वैसे प्रदेश की अपेक्षा भी वक्तव्य है यावत् ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी श्रेणियां भी। सभी श्रेणियां अनन्त हैं। ७९. भन्ते! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा क्या संख्येय हैं...? पृच्छा। गौतम! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा स्यात् संख्येय हैं, स्यात् असंख्येय हैं, अनन्त नहीं हैं। इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम की ओर लंबी लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। इसी प्रकार दक्षिण-उत्तर की ओर लंबी लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। ऊर्ध्व-अधः की
ओर लम्बी लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां संख्येय नहीं हैं, असंख्येय हैं, अनन्त नहीं हैं। ८०. भन्ते! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा संख्येय हैं....? पृच्छा। गौतम! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां प्रदेश की अपेक्षा स्यात् संख्येय हैं, स्यात् असंख्येय हैं, स्यात् अनन्त हैं। ८१. भन्ते! पूर्व-पश्चिम की ओर लंबी अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां....? पृच्छा। गौतम! पूर्व-पश्चिम की ओर लंबी अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं। इसी प्रकार दक्षिण-उत्तर की ओर अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां भी। ८२. (भन्ते!) ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी अलोकाकाश-प्रदेशी की श्रेणियां...? पृच्छा। गौतम! ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां स्यात् संख्येय हैं, स्यात्
असंख्येय हैं, स्यात् अनन्त हैं। ८३. भन्ते! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां क्या सादि-सपर्यवसित हैं? सादि-अपर्यवसित हैं?
अनादि-सपर्यवसित हैं? अनादि-अपर्यवसित हैं? गौतम! आकाश-प्रदेश की श्रेणियां सादि-सपर्यवसित नहीं हैं, सादि-अपर्यवसित नहीं है, अनादि-सपर्यवसित नहीं हैं, अनादि-अपर्यवसित हैं। इसी प्रकार यावत् ऊर्ध्व-अधः की ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियों की वक्तव्यता है। ८४. भन्ते! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां क्या सादि-सपर्यवसित हैं?....पृच्छा। गौतम! लोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां सादि-सपर्यवसित हैं, सादि-अपर्यवसित नहीं हैं, अनादि-सपर्यवसित नहीं हैं, अनादि-अपर्यवसित नहीं हैं। इसी प्रकार यावत् ऊर्ध्व-अधः की
ओर लम्बी आकाश-प्रदेश की श्रेणियों की वक्तव्यता। ८५. भन्ते! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां क्या सादि-सपर्यवसित हैं?...पृच्छा। गौतम! अलोकाकाश-प्रदेश की श्रेणियां स्यात् सादि-सपर्यवसित हैं, स्यात् सादि-अपर्यवसित हैं, स्यात् अनादि-सपर्यवसित हैं, स्यात् अनादि-अपर्यवसित हैं। इसी प्रकार पूर्व-पश्चिम की ओर तथा दक्षिण-उत्तर की ओर लंबी श्रेणियों की वक्तव्यता। केवल इतना विशेष है वे
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