Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ३ : सू. ३६-४५ गौतम! द्रव्य की अपेक्षा परिमण्डल-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा सबसे अल्प हैं, वृत्त-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा उससे संख्येय-गुणा हैं, चतुष्कोण-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा उससे संख्येय-गुणा हैं, त्रिकोण-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा उससे संख्येय-गुणा हैं, आयत-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा उससे संख्येय-गुणा हैं, अनित्थंस्थ-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा उससे असंख्येय-गुणा
प्रदेश की अपेक्षा परिमण्डल-संस्थान प्रदेश की अपेक्षा सबसे अल्प हैं, वृत्त-संस्थान प्रदेश की अपेक्षा उससे संख्येय-गुणा हैं, जैसे द्रव्य की अपेक्षा वैसे प्रदेश की अपेक्षा भी यावत् अनित्थंस्थ-संस्थान प्रदेश की अपेक्षा असंख्येय-गुणा हैं। द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा परिमण्डल-संस्थान द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा सबसे अल्प हैं। इससे आगे द्रव्य की अपेक्षा निर्दिष्ट गमक वक्तव्य है यावत् अनित्थंस्थ-संस्थान द्रव्य की अपेक्षा असंख्येय-गुणा हैं। द्रव्य की अपेक्षा अनित्थंस्थ-संस्थान से प्रदेश की अपेक्षा परिमंडल-संस्थान असंख्येय-गुणा हैं। वृत्त संस्थान प्रदेश की अपेक्षा उससे संख्येय-गुणा हैं। प्रदेश की अपेक्षा वही गमक वक्तव्य है यावत् अनित्थंस्थ-संस्थान प्रदेश की अपेक्षा
असंख्येय-गुणा हैं। रत्नप्रभादि के संदर्भ में संस्थान-पद ३७. भन्ते! संस्थान कितने प्रज्ञप्त हैं ?
गौतम! संस्थान पांच प्रज्ञप्त हैं, जैसे परिमण्डल- यावत् आयत-संस्थान । ३८. भन्ते! परिमण्डल-संस्थान क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं? अनन्त हैं?
गौतम! संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं। ३९. भन्ते! वृत्त-संस्थान क्या संख्येय हैं ......? पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत् आयत-संस्थान । ४०. भन्ते! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी में परिमण्डल-संस्थान क्या संख्येय हैं? असंख्येय हैं? अनन्त
गौतम! संख्येय नहीं है, असंख्येय नहीं है अनन्त हैं। ४१. भन्ते! वृत्त-संस्थान क्या संख्येय हैं? __ पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत् आयत-संस्थान । ४२. भन्ते! शर्कराप्रभा-पृथ्वी में परिमण्डल-संस्थान......? पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत्
आयत-संस्थान। इसी प्रकार यावत् अधःसप्तमी। ४३. भन्ते! सौधर्म-कल्प में परिमण्डल-संस्थान.....? पूर्ववत्। यावत् अच्युत-कल्प। ४४. भन्ते! ग्रैवेयक-विमान में परिमण्डल-संस्थान....? पूर्ववत्। इसी प्रकार यावत् अनुत्तर
-विमान में भी। इसी प्रकार ईषत्-प्राग्भारा में भी वक्तव्यता। ४५. भन्ते! जहां एक परिमण्डल-संस्थान यवमध्य (परिमाण वाला) है वहां क्या परिमण्डल-संस्थान संख्येय हैं? असंख्येय हैं? अथवा अनन्त हैं? गौतम! संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं, अनन्त हैं।
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