Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पच्चीसवां शतक
पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा
पच्चीसवें शतक के बारह उद्देशक-१. लेश्या २. द्रव्य ३. संस्थान ४. युग्म, ५. पर्यव, ६. निर्ग्रन्थ ७. श्रमण ८. ओघ ९. भविक १० अभविक ११. सम्यक्, १२. मिथ्या ये १२ उद्देशक हैं। लेश्या-पद १. उस काल और उस समय में राजगृह में गणधर गौतम ने श्रमण भगवान् महावीर से यावत् (भ. १/४-१०) इस प्रकार कहा-भन्ते! लेश्याएं कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! छह लेश्याएं प्रज्ञप्त हैं, जैसे-कृष्ण-लेश्या, प्रथम शतक के द्वितीय उद्देशक (भ. १/ १०२, पण्णवणा, १७/२) की भांति लेश्या-विभाग वक्तव्य है। अल्पबहुत्व यावत् (पण्णवण्णा १७/७१-८३) चार प्रकार के देवों और चार प्रकार की देवियों का
अल्पबहुत्व संयुक्त रूप से वक्तव्य है। योग का अल्पबहुत्व-पद २. भन्ते! संसार-समापनक-जीव कितने प्रकार के प्रज्ञत हैं? गौतम! संसार-समापन्न-जीव चौदह प्रकार के प्रज्ञप्त हैं जैसे-१ सूक्ष्म-(एकेन्द्रिय)-अपर्याप्तक २. सूक्ष्म-(एकेन्द्रिय)-पर्याप्तक ३. बादर-(एकेन्द्रिय)-अपर्याप्तक ४. बादर (एकेन्द्रिय)-पर्याप्तक ५. द्वीन्द्रिय-अपर्याप्तक ६. द्वीन्द्रिय-पर्याप्तक ७. त्रीन्द्रिय-पर्याप्तक ८. त्रीन्द्रिय-पर्याप्तक ९. चतुरिन्द्रिय-अपर्याप्तक १०. चतुरिन्द्रिय-पर्याप्तक ११. असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-अपर्याप्तक १२. असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-पर्याप्तक १३. संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-अपर्याप्तक १४. संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-पर्याप्तक। ३. भन्ते! इन चौदह प्रकार के संसार-समापनक-जीवों के जघन्य और उत्कृष्ट योग में कौन किससे अल्प, बहुत , तुल्य या विशेषाधिक हैं? गौतम! १. सूक्ष्म-(एकेन्द्रिय)-अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग सबसे अल्प है। २. बादर-(एकेन्द्रिय)-अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग उससे असंख्येय-गुणा है। ३. द्वीन्द्रिय-अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग उससे असंख्येय-गुणा है। ४. इसी प्रकार त्रीन्द्रिय-(अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग) ५. इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय-(अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग) ६. असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग उससे असंख्येय-गुणा है। ७. संज्ञी-पंचेन्द्रिय-अपर्याप्तक-जीवों का जघन्य योग उससे असंख्येय-गुणा है।
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