Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. २४ : उ. २४ : सू. ३६०,३६१ .
भगवती सूत्र अपेक्षा जघन्यतः दो कोटि-पूर्व-अधिक-तेतीस-सागरोपम, उत्कृष्टतः भी दो कोटि-पूर्व-अधिक-तेतीस-सागरोपम-इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति-आगति करता है। ये तीन गमक (प्रथम, चतुर्थ और सप्तम) सर्वार्थसिद्धक-देवों के होते हैं। ३६१. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है, इस प्रकार भगवान् गौतम यावत् (भ. १/५१) संयम और तप से अपने आपको भावित करते हुए विहरण करने लगे।
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