Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २४ : उ. २४ : सू. ३४६-३५१ बयासीवां आलापक : ईशान-देवों (दूसरे देवलोक) में तिर्यंच-यौगलिकों का
उपपात-आदि ३४६. भन्ते! ईशान-देव कहां से उपपन्न होते हैं? ईशान-देवों की सौधर्म-देव के सदृश
वक्तव्यता (भ. २४/३३६)। केवल इतना विशेष है-असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक (यौगलिक) जीव की जिन स्थानों में सौधर्म-देवलोक में उपपद्यमान की पल्योपम स्थिति होती है उन स्थानों में यहां (ईशान-देवलोक में) स्थिति सातिरेकएक-पल्योपम कथनीय है, चौथे गमक में अवगाहना-जघन्यतः पृथक्त्व (दो से नौ)-धनुष, उत्कृष्टतः सातिरेक दो गव्यूत। शेष पूर्ववत्। तरासीवां आलापक : ईशान-देवों (दूसरे देवलोक) में मनुष्य-यौगलिकों का उपपात-आदि ३४७. असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी-मनुष्य की (ईशान-देवलोक में) भी असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक (भ. २४/३३६-३४१) की भांति शेष वक्तव्यता। अवगाहना-जिन स्थानों में अवगाहना एक गव्यूत बतलाई गई, उन स्थानों में यहां (ईशान-देवलोक में) उपपन्न होने वाले मनुष्य-यौगलिक की अवगाहना कुछ अधिक एक गव्यूत वक्तव्य है। शेष पूर्ववत्।। चौरासीवां आलापक : ईशान-देवों (दूसरे देवलोक) में संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी
-तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-जीवों एवं संज्ञी-मनुष्यों का उपपात-आदि ३४८. संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक और मनुष्य के सौधर्म
-देवलोक में उपपद्यमान देवों की भांति ईशान-देवलोक में भी नौ गमक अविकल रूप में वक्तव्य हैं, केवल इतना विशेष है-ईशान-देव की स्थिति और कायसंवेध यथोचित ज्ञातव्य
३४९. भन्ते! सनत्कुमार-देव कहां से उपपन्न होते हैं? उपपात शर्कराप्रभा-पृथ्वी के नैरयिकों
की भांति, यावत्पचासीवां आलापक : सनत्कुमार-देवों (तीसरे देवलोक) में संख्यात वर्ष की आयु वाले
संज्ञी-तिर्यंच-पञ्चेन्द्रिय-जीवों का उपपात-आदि ३५०. भन्ते! संख्यात वर्ष की आयु वाला पर्याप्त-संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक जो सनत्कुमार-देव में उपपन्न होने योग्य है.....? शेष परिमाण से लेकर भवादेश तक वही वक्तव्यता ज्ञातव्य है, जैसे सौधर्म-देवलोक में उपपद्यमान (भ. २४/३४२) की वक्तव्यता है, केवल इतना विशेष है-सनत्कुमार-देव की स्थिति और कायसंवेध यथोचित ज्ञातव्य है। जब (संख्यात वर्ष की आयु वाला पर्याप्त संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक जीव) अपनी जघन्य काल की स्थिति वाले सनत्कुमार-देवों में उपपन्न होता है, तब तीनों गमक (चौथे, पांचवें और छट्टे) में पहली पांच लेश्याएं वक्तव्य हैं। शेष पूर्ववत्। छयासीवां आलापक : सनत्कुमार-देवों (तीसरे देवलोक) में संख्यात वर्ष की आयुवाले
संज्ञी-मनुष्यों का उपपात-आदि ३५१. यदि मनुष्यों से उपपन्न होते हैं तो....? शर्करा-प्रभा में उपपद्यमान मनुष्यों की (भ.
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