Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १२ : उ. ९ : सू. १९२-१९९
भगवती सूत्र गौतम ! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त से कुछ अधिक दस हजार वर्ष, उत्कृष्टतः अनंत कालवनस्पति-काल। १९३. नर-देवों की पृच्छा।
गौतम ! जघन्यतः कुछ अधिक सागरोपम, उत्कृष्टतः अनंत-काल-कुछ कम अर्ध पुद्गल-परिवर्त। १९४. धर्म-देव की पृच्छा । गौतम ! जघन्यतः पृथक्त्व-पल्योपम, उत्कृष्टतः अनंत-काल यावत् कुछ कम अर्ध-पुद्गल-परिवर्त। १९५. देवातिदेवों की पृच्छा ।
गौतम ! अंतरकाल नहीं। १९६. भाव-देव की पृच्छा।
गौतम ! जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः अनंत काल-वनस्पति काल। पंचविध-देवों का अल्पबहुत्व-पद १९७. भंते ! इन भव्य-द्रव्य-देवों, नर-देवों, धर्म-देवों, देवातिदेवों और भाव-देवों में कौन किनसे अल्प, बहु, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं?
गौतम ! सबसे अल्प नर-देव, देवातिदेव उससे संख्येय-गुणा अधिक, धर्म-देव उससे संख्येय-गुणा अधिक, भव्य-द्रव्य-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक और भाव-देव उससे
असंख्येय-गुणा अधिक हैं। १९८. भंते ! इन भाव-देवों-भवनवासी-देवों, वाणमंतर-देवों, ज्योतिष्क-देवों और वैमानिक-देवों सौधर्म यावत् अच्युत-, कल्प-, ग्रैवेयक- और अनुत्तरोपपातिक-देवों में कौन किनसे अल्प, बहु, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं? गौतम ! सबसे अल्प अनुत्तरोपपातिक-भाव-देव, उपरि ग्रैवेयक-भाव-देव उससे संख्येय-गुणा अधिक, मध्यम-प्रैवेयक उससे संख्येय-गुणा अधिक, अधस्तन-प्रैवेयक उससे संख्येय-गुणा अधिक, अच्युत-कल्पवासी-देव उससे संख्येय-गुणा अधिक यावत् आनत-कल्पवासी देव उससे संख्येय-गुणा अधिक, महाशुक्र-कल्पवासी-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, लान्तक-कल्पवासी-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, माहेन्द्र-कल्पवासी-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, सनत्कुमार-कल्पवासी-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, ईशान-कल्पवासी देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, सौधर्म-कल्पवासी देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, भवनवासी-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक, वाणमंतर-देव उससे असंख्येय-गुणा
अधिक, ज्योतिष्क-भाव-देव उससे असंख्येय-गुणा अधिक हैं। १९९. भंते ! वह ऐसा ही है। भंते ! वह ऐसा ही है ।
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