Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १७ : उ. १७ : सू. ८७-९६
(भ. १६ / १२५-१२९ ) की भांति निरवशेष वक्तव्यता यावत् ऋद्धि ।
८८. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है । यावत् विहरण करने लगे । ८९. भंते! सब सुपर्णकुमार समान आहार वाले हैं ?
पूर्ववत् ।
९०. भंते! वह ऐसा ही है । भंते! वह ऐसा ही है ।
९१. भंते! सब विद्युत्कुमार समान आहार वाले हैं ? पूर्ववत् ।
९२. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है । ९३. भंते! सब वायुकुमार समान आहार वाले हैं ? पूर्ववत् ।
९४. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है । ९५. भंते! सब अग्निकुमार समान आहार वाले हैं ?
पूर्ववत् ।
९६. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही है।
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भगवती सूत्र