Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. २२ : व. ६ : सू. ६
भगवती सूत्र २२/१ में कहे गए) ताल-वर्ग की भांति कहने चाहिए, केवल इतना अन्तर है-फल-उद्देशक में अवगाहना-जघन्यतः अंगुल-का-असंख्यातवां-भाग, उत्कर्षतः पृथक्त्व-धनुष । स्थिति-सर्वत्र जघन्यतः अंतर्मुहूर्त, उत्कर्षतः पृथक्त्व-वर्ष, शेष उसी प्रकार । इस प्रकार छह वर्गों के साठ उद्देशक होते हैं।