Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. २० : उ. १० : सू. १०४-१०९
भगवती सूत्र १०४. भंते! इन सिद्धों के कति-संचित और अवक्तव्यक-संचित में कौन किससे अल्प,
बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है? गौतम! कति-संचित सिद्ध सबसे अल्प हैं, अवक्तव्यक-संचित उससे संख्येय गुण हैं। षट्क समर्जित-आदि-पद १०५. भंते! क्या नैरयिक षट्क-समर्जित हैं? नोषट्क-समर्जित हैं? षट्क-नोषट्क-समर्जित हैं? अनेक-षट्क-समर्जित हैं? अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित हैं? गौतम! नैरयिक षट्क-समर्जित भी हैं, नोषट्क-समर्जित भी हैं, षट्क-नोषट्क-समर्जित भी हैं, अनेक-षट्क-समर्जित भी हैं, अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित भी हैं। १०६. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है नैरयिक षट्क-समर्जित भी हैं यावत्
अनेक षट्क-नोषट्क-समर्जित भी हैं? गौतम! जो नैरयिक षट्क-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं, वे षट्क-समर्जित हैं। जो नैरयिक जघन्यतः एक-, दो-अथवा तीन-, उत्कृष्टतः पांच-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं, वे नोषट्क-समर्जित हैं। जो नैरयिक एक-षट्क तथा अन्य जघन्यतः एक-, दो-, तीन-, उत्कृष्टतः पांच-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं, वे षट्क-नोषट्क समर्जित हैं। जो नैरयिक अनेक-षट्क-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं, वे अनेक-षट्क-समर्जित हैं। जो नैरयिक अनेक
टक तथा अन्य जघन्यतः एक-दो- तीन- उत्कष्टतः पांच-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं, वे अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित हैं। इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है यावत्
अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित भी हैं। इस प्रकार यावत् स्तनितकुमार की वक्तव्यता। १०७. पृथ्वीकायिकों की पृच्छा।
गौतम! पृथ्वीकायिक-जीव षट्क-समर्जित नहीं है, नोषट्क-समर्जित नहीं है, षट्क- और नोषट्क-समर्जित नहीं हैं। अनेक-षट्क-समर्जित हैं, अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित भी
१०८. यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है यावत् अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित हैं? गौतम! जो पृथ्वीकायिक-जीव अनेक-षट्क-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं वे पृथ्वीकायिक अनेक-षट्क-समर्जित हैं। जो पृथ्वीकायिक अनेक-षट्क तथा अन्य जघन्य एक-, दो-, तीन-, उत्कृष्टतः पांच-प्रवेशनक से प्रवेश करते हैं, वे पृथ्वीकायिक अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित हैं। इस प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक की वक्तव्यता। द्वीन्द्रिय की
वैमानिक की भांति वक्तव्यता। सिद्ध की नैरयिक की भांति वक्तव्यता। १०९. भंते! इन नैरयिकों के षट्क-समर्जित, नोषट्क-समर्जित, षट्क-नोषट्क-समर्जित,
अनेक-षट्क-समर्जित, अनेक-षट्क-एक-नोषट्क-समर्जित में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं? गौतम! षट्क-समर्जित नैरयिक सबसे अल्प हैं, नोषट्क-समर्जित उनसे संख्येय-गुण हैं, षट्क-नोषट्क-समर्जित उनसे संख्येयगुण हैं, अनेक-षट्क-समर्जित उनसे असंख्येय-गुण हैं,
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