Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १८ : उ. ६ : सू. १०७-११४
भगवती सूत्र छठा उद्देशक नैश्चयिक-व्यवहार-नय-पद १०७. भंते! फाणित-गुड़ कितने वर्ण, कितने गंध, कितने रस और कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त
गौतम! यहां दो नय होते हैं, जैसे-नैश्चयिक नय, व्यावहारिक नय। व्यावहारिक नय से फाणित-गुड़ मधुर रस वाला है। नैश्चयिक नय से पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और आठ स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। १०८. भंते! भ्रमर कितने वर्ण, कितने गंध, कितने रस और कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है? गौतम! यहां दो नय होते हैं, जैसे-नैश्चयिक नय, व्यावहारिक नय। व्यावहारिक नय से भ्रमर काला है। नैश्चयिक नय से पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। १०९. भंते! तोते का पंख कितने वर्ण, कितने गंध, कितने रस और कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है? पूर्ववत्, इतना विशेष है-व्यावहारिक नय से तोते का पंख नीला है, नैश्चयिक नय से वह पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। इस प्रकार इस अभिलाप से मजीठ लाल, हल्दी पीली, शंख शुक्ल, कोष्ठ सुगंध-युक्त, मृतक-शरीर दुर्गन्ध-युक्त, नीम तीता, सूंठ कटुक, कपित्थ कषैला, इमली खट्टी, शर्करा मधुर, वज्र कर्कश, नवनीत मृदु, लोह भारी, उलूक-पत्र हल्का, हिम शीत, अग्नि-काय उष्ण और तैल स्निग्ध। इनकी वक्तव्यता पूर्ववत्। ११०. भंते! राख की पृच्छा। गौतम! यहां दो नय होते हैं, जैसे–नैश्चयिक नय, व्यावहारिक नय। व्यावहारिक नय से राख रूक्ष है, नैश्चयिक नय से पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श वाली प्रज्ञप्त है। परमाणु-स्कन्ध के वर्ण का आदि-पद १११. भंते ! परमाणु-पुद्गल कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है?
गौतम! एक वर्ण, एक गंध, एक रस और दो स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। ११२. भंते! द्वि-प्रदेशी स्कंध कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है? गौतम! स्यात् एक वर्ण, स्यात् दो वर्ण, स्यात् एक गंध, स्यात् दो गंध, स्यात् एक रस, स्यात् दो रस, स्यात् दो स्पर्श, स्यात् तीन स्पर्श, स्यात् चार स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। ११३. भंते! त्रि-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है?
गौतम! स्यात् एक वर्ण, स्यात् दो वर्ण, स्यात् तीन वर्ण, स्यात् एक गंध, स्यात् दो गंध, स्यात् एक रस, स्यात् दो रस, स्यात् तीन रस, स्यात् दो स्पर्श, स्यात् तीन स्पर्श, स्यात्
चार स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है। ११४. भंते! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण यावत् कितने स्पर्श वाला प्रज्ञप्त है? गौतम! स्यात् एक वर्ण, स्यात् दो वर्ण, स्यात् तीन वर्ण, स्यात् चार वर्ण, स्यात् एक गंध,
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