Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
श. २० : उ. ५ : सू. ३६,३७
भगवती सूत्र शीत के साथ चौसठ भंग करणीय हैं। सर्व उष्ण, देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश स्निग्ध, देश रूक्ष-इस प्रकार उष्ण के साथ भी चौसठ भंग करणीय हैं। सर्व स्निग्ध, देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश शीत, देश उष्ण-इस प्रकार स्निग्ध के साथ चौसठ भंग करणीय हैं। सर्व रूक्ष, देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश शीत, देश उष्ण-इस प्रकार रूक्ष के साथ चौसठ भंग करणीय हैं यावत् सर्व रूक्ष, देश कर्कश (बहुवचन), देश मृदु (बहुवचन), देश गुरु (बहुवचन), देश लघु (बहुवचन) देश शीत (बहुवचन), देश उष्ण (बहुवचन)। इस प्रकार सात स्पर्श के पांच सौ बारह भंग होते हैं। यदि आठ स्पर्श वाला है? १-४. देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश शीत, देश उष्ण, देश स्निग्ध, देश रूक्ष । ५-८. देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश शीत, देश उष्ण (बहुवचन), देश स्निग्ध, देश रूक्ष। ९-१२ देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश शीत (बहुवचन), देश उष्ण, देश स्निग्ध, देश रूक्ष। १३-१६. देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु, देश शीत (बहुवचन), देश उष्ण (बहुवचन), देश स्निग्ध, देश रूक्ष-ये चार चतुष्क सोलह भंग होते हैं। देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु, देश लघु (बहुवचन), देश शीत, देश उष्ण, देश स्निग्ध, देश रूक्ष-इस प्रकार ये गुरु-एकत्व, लघु-पृथक्त्व से सोलह भंग करणीय हैं। देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु (बहुवचन), देश लघु, देश शीत, देश उष्ण, देश स्निग्ध, देश रूक्ष ये भी सोलह भंग करणीय हैं। देश कर्कश, देश मृदु, देश गुरु (बहुवचन), देश लघु (बहुवचन), देश शीत, देश उष्ण, देश स्निग्ध, देश रूक्ष ये भी सोलह भंग करणीय हैं। ये चौसठ भंग कर्कश-मृदु के एकत्व से हैं। इसके पश्चात् कर्कश-एकत्व और मृदु-पृथक्त्व से चौसठ भंग करणीय हैं। इसके पश्चात् कर्कश-पृथक्त्व और मृदु-एकत्व से चौसठ भंग करणीय हैं। इसके पश्चात् इन दोनों (कर्कश-मृदु) के पृथक्त्व से चौसठ भंग करणीय हैं। यावत् देश कर्कश (बहुवचन), देश मृदु (बहुवचन), देश गुरु (बहुवचन), देश लघु (बहुवचन), देश शीत (बहुवचन), देश उष्ण (बहुवचन), देश स्निग्ध (बहुवचन), देश रूक्ष (बहुवचन) यह प्रथम भंग है। अष्ट स्पर्श के ये सर्व दो सौ छप्पन भंग होते हैं। इस प्रकार बादर-परिणत अनंत-प्रदेशी स्कंध के सर्व संयोगों से बारह सौ छियानवें भंग
होते हैं। परमाणु-पद ३७. भंते! परमाणु कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! परमाणु के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-द्रव्य-परमाणु, क्षेत्र-परमाणु, काल-परमाणु, भाव-परमाणु।
६८६