Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. १४ : उ. ७ : सू. ७७-८१ गौतम! तुम मुझसे चिर काल से प्रीति-परायण रहे हो। गौतम! चिरकाल से तुम मेरा अनुगमन करते रहे हो। गौतम! तुम चिर काल से मेरा अनुवर्तन करते रहे हो। अनंतर (व्यवधान-रहित) देवलोक में, अनंतर मनुष्य-जन्म में भी। और क्या मृत्यु के होने पर शरीर के छूट जाने पर यहां से च्युत होकर हम दोनों तुल्य, एकार्थक, अभिन्न और नानात्व से रहित होंगे। ७८. भंते! जैसे हम इस अर्थ को जानते-देखते हैं, वैसे अनुत्तरोपपातिक-देव भी इस अर्थ को जानते-देखते हैं? हां, गौतम! जैसे हम इस अर्थ को जानते-देखते हैं, वैसे अनुत्तरोपपातिक-देव भी इस अर्थ
को जानते-देखते हैं। ७९. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है जैसे हम इस अर्थ को जानते-देखते हैं वैसे
अनुत्तरोपपातिक-देव भी इस अर्थ को जानते-देखते हैं? ___ गौतम! अनुत्तरोपपातिक-देवों को अनंत मनो-द्रव्य-वर्गणाएं लब्ध, प्राप्त और अभिसमन्वागत हो जाती हैं। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है जैसे हम इस अर्थ
को जानते-देखते हैं, वैसे अनुत्तरोपपातिक-देव भी इस अर्थ को जानते-देखते हैं। तुल्य-पद ८०. भंते! कितने प्रकार के तुल्य प्रज्ञप्त है? गौतम! छह प्रकार के तुल्य प्रज्ञप्त है, जैसे-द्रव्य-तुल्य, क्षेत्र-तुल्य, काल-तुल्य, भव-तुल्य, भाव-तुल्य, संस्थान-तुल्य। ८१. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-द्रव्य-तुल्य द्रव्य-तुल्य है?
गौतम! परमाणु-पुद्गल परमाणु-पुद्गल से द्रव्यतः तुल्य है। परमाणु-पुद्गल परमाणु-पुद्गल-व्यतिरिक्त से द्रव्यतः तुल्य नहीं है। द्विप्रदेशिक-स्कंध द्विप्रदेशिक-स्कंध से द्रव्यतः तुल्य है। द्विप्रदेशिक-स्कंध द्विप्रदेशिक-व्यतिरिक्त स्कंध से द्रव्यतः तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् दस-प्रदेशी की वक्तव्यता। समान संख्येय-प्रदेशी स्कंध समान संख्येय-प्रदेशी स्कंध से द्रव्यतः तुल्य है। समान संख्येय-प्रदेशी स्कंध समान संख्येय-प्रदेशी-व्यतिरिक्त स्कंध से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार समान असंख्येय-प्रदेशी स्कंध की भी वक्तव्यता। इसी प्रकार समान अनंत-प्रदेशी स्कंध की भी वक्तव्यता। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है-द्रव्य-तुल्य द्रव्य-तुल्य है। भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-क्षेत्र-तुल्य क्षेत्र-तुल्य है? गौतम! एक प्रदेशावगाढ पुद्गल एक प्रदेशावगाढ पुद्गल से क्षेत्रतः तुल्य है। एक प्रदेशावगाढ पुद्गल एक प्रदेशावगाढ-व्यतिरिक्त पुद्गल से क्षेत्रतः तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् दस-प्रदेशावगाढ की वक्तव्यता। समान संख्येय-प्रदेशावगाढ पुद्गल समान संख्येय-प्रदेशावगाढ पुद्गल से क्षेत्रतः तुल्य है। समान संख्येय-प्रदेशावगाढ पुद्गल समान संख्येय-प्रदेशावगाढ़