Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १६ : उ. ६ : सू. ८१-९१
भगवती सूत्र वैसा भी होता है, अन्यथा भी होता है। संवृतासंवृत स्वप्न देखता है, वह वैसा भी होता है,
अन्यथा भी होता है। ८२. भंते! क्या जीव संवृत हैं? असंवृत हैं? संवृतासंवृत हैं?
गौतम! जीव संवृत भी हैं, असंवृत भी हैं, संवृतासंवृत भी हैं। जैसे सुप्त के दण्डक वैसे ही संवृत की वक्तव्यता। ८३. भंते! स्वप्न कितने प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! स्वप्न बयांलीस प्रज्ञप्त हैं। ८४. भंते! महा-स्वप्न कितने प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! महा-स्वप्न तीस प्रज्ञप्त हैं। ८५. भंते! सर्व-स्वप्न कितने प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! सर्व-स्वप्न बहत्तर प्रज्ञप्त हैं। ८६. भंते! तीर्थंकर की माता तीर्थंकर के गर्भ में आने के समय कितने महा-स्वप्न देखकर जागृत होती हैं? गौतम! तीर्थंकर की माता तीर्थंकर के गर्भ में आने के समय इन तीस महा-स्वप्नों में से ये चौदह महा-स्वप्न देखकर जागृत होती हैं, जैसे-गज, वृषभ यावत् अग्नि । ८७. भंते! चक्रवर्ती की माता चक्रवर्ती के गर्भ में आने के समय कितने महा-स्वप्न देखकर जागृत होती हैं? गौतम! चक्रवर्ती की माता चक्रवर्ती के गर्भ में आने के समय इन तीस महा-स्वप्न में से ये चौदह महा-स्वप्न देखकर जागृत होती हैं, जैसे-गज, वृषभ यावत् अग्नि। ८८. वासुदेव की माता-पृच्छा।
गौतम! वासुदेव की माता वासुदेव के गर्भ में आने के समय इन चौदह महा-स्वप्नों में से किन्हीं सात महा-स्वप्नों को देखकर जागृत होती हैं। ८९. बलदेव की माता–पृच्छा।
गौतम! बलदेव की माता यावत् इन चौदह महा-स्वप्नों में से किन्हीं चार महा-स्वप्नों को देखकर जागृत होती हैं। ९०. भंते! मांडलिक की माता-पृच्छा।
गौतम! मांडलिक की माता यावत् इन चौदह महा-स्वप्नों में से किसी एक महा-स्वप्न को देखकर जागृत होती हैं। भगवान् का महास्वप्न-दर्शन-पद ९१. श्रमण भगवान् महावीर छद्मस्थकालीन अवस्था में रात के अंतिम भाग में इन दस महा-स्वप्नों को देखकर जागृत हुए, जैसे
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