Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १३ : उ. ४ : सू. ४३-५०
भगवती सूत्र
वक्तव्यता वैसे ही सात पृथ्वियां परस्पर वक्तव्य हैं यावत् रत्नप्रभा तक यावत् वैसे महर्द्धिकतर नहीं हैं, अल्प द्युतिकतर हैं। नैरयिकों का स्पर्शानुभव-पद ४४. भंते ! रत्नप्रभा-पृथ्वी के नैरयिक किस प्रकार के पृथ्वी-स्पर्श का प्रत्यनुभव करते हुए विहरण करते हैं? गौतम! अनिष्ट यावत् अमनोहर। इसी प्रकार यावत् अधःसप्तमी-पृथ्वी के नैरयिकों की वक्तव्यता। इसी प्रकार जल-स्पर्श. इसी प्रकार यावत वनस्पति का स्पर्श। नरकों का बाहल्य-क्षुद्रत्व-पद ४५. भंते ! यह रत्नप्रभा-पृथ्वी दूसरी शर्कराप्रभा-पृथ्वी की अपेक्षा विस्तार में सर्वथा महती है ? सब प्रान्त-भागों में सर्वथा छोटी है? हां गौतम ! रत्नप्रभा-पृथ्वी दूसरी शर्कराप्रभा-पृथ्वी की अपेक्षा विस्तार में सर्वथा महती है, सर्व प्रान्त-भागों में सर्वथा छोटी है। भंते ! दूसरी पृथ्वी तीसरी पृथ्वी की अपेक्षा विस्तार में सर्वथा महती है ? पृच्छा। हां गौतम ! दूसरी पृथ्वी यावत् सर्व प्रान्त-भागों में सर्वथा छोटी है। इस अभिलाप के द्वारा यावत् छठी पृथ्वी अधःसप्तमी-पृथ्वी की अपेक्षा यावत् सर्व प्रान्त -भागों में सर्वथा छोटी है। नरक-परिसामन्त-पद ४६. भंते! इस रत्नप्रभा पृथ्वी नरक के पार्श्वभागों में जो पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक जीव हैं, वे जीव महाकर्मतर हैं? महाक्रियातर हैं ? महाआश्रवतर हैं ? महावेदनतर हैं ?
हां गौतम ! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी नरक के पार्श्वभागों में जो पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक जीव हैं, वे महाकर्मतर यावत् महावेदनतर हैं। इस प्रकार यावत् अधःसप्तमी
की वक्तव्यता। लोक-मध्य-पद ४७. भंते ! लोक का आयाम-मध्य कहां प्रज्ञप्त है ? गौतम! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी के अवकाशान्तर के असंख्येय भाग का अवगाहन करने पर, वहां लोक का आयाम-मध्य प्रज्ञप्त है। ४८. भंते ! अधो-लोक का आयाम-मध्य कहां प्रज्ञप्त है?
गौतम ! चतुर्थ पंकप्रभा-पृथ्वी के अवकाशान्तर के कुछ अधिक अर्द्धभाग का अवगाहन करने पर, वहां अधो-लोक का आयाम-मध्य प्रज्ञप्त हैं। ४९. भंते ! ऊर्ध्व-लोक का आयाम-मध्य कहां प्रज्ञप्त है?
गौतम ! सनत्कुमार-माहेन्द्र-कल्प के ऊपर ब्रह्म-लोक-कल्प अरिष्ट-विमान-प्रस्तर के नीचे वहां ऊर्ध्व-लोक का आयाम-मध्य प्रज्ञप्त है। ५०. भंते ! तिर्यग्-लोक का आयाम-मध्य कहां प्रज्ञप्त है?
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