Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. १३ : उ. ७ : सू. १२६-१२८ गौतम! मन रूपी ह, मन अरूपी नहीं है। भंते! मन सचित्त है? मन अचित्त है? गौतम! मन सचित्त नहीं है, मन अचित्त है। भंते! मन जीव है? मन अजीव है? गौतम! मन जीव नहीं है, मन अजीव है। भंते! मन जीवों के होता है? मन अजीवों के होता है? गौतम! जीवों के मन होता है, अजीवों के मन नही होता। भंते! पहले मन होता है? मनन के समय मन होता है? मनन का समय व्यतिक्रांत होने पर मन होता है? गौतम! पहले मन नहीं होता, मनन के समय मन होता है , मनन का समय व्यतिक्रांत होने पर मन नहीं होता। भंते! पहले मन का भेदन होता है? मनन के समय मन का भेदन होता है? मनन का समय व्यतिक्रांत होने पर मन का भेदन होता है? गौतम! पहले मन का भेदन नहीं होता, मनन के समय मन का भेदन होता है, मनन का समय
व्यतिक्रांत होने पर मन का भेदन नहीं होता। १२७. भंते! मन के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! मन के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सत्य,मृष, सत्यामृष,असत्यामृष। काय-पद १२८. भंते! काय आत्मा है? काय आत्मा से अन्य है?
गौतम! काय आत्मा भी है, काय आत्मा से अन्य भी है। भंते! काय रूपी है? काय अरूपी है? गौतम! काय रूपी भी है, काय अरूपी भी है। भंते! काय सचित्त है? काय अचित्त है? गौतम! काय सचित्त भी है, काय अचित्त भी है। भंते! काय जीव है? काय अजीव है? गौतम! काय जीव भी है, काय अजीव भी है। भंते! काय जीवों के होता है? काय अजीवों के होता है? गौतम! काय जीवों के भी होता है, काय अजीवों के भी होता है । भंते! पहले काय होता है? चीयमान अवस्था में काय होता है? काय का समय व्यतिक्रांत होने पर काय होता है? गौतम! पहले भी काय होता है, चीयमान अवस्था में भी काय होता है, काय का समय
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