Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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श. १४ : उ. ३ : सू. ३०-३९
भगवती सूत्र -उपपन्नक। जो मायी-मिथ्यादृष्टि-उपपन्नक देव हैं, वे भावितात्मा अनगार को देखते हैं, देख कर वंदन-नमस्कार नहीं करते, सत्कार सम्मान नहीं करते, कल्याणकारी, मंगल, देव और प्रशस्त चित्त वाले भावितात्मा अनगार की पर्युपासना नहीं करते। वे भावितात्मा अनगार के बीचोंबीच से होकर जाते हैं। जो अमायी-सम्यग्दृष्टि-उपपन्नक देव हैं, वे भावितात्मा अनगार को देखते हैं, देखकर वंदन-नमस्कार करते हैं, सत्कार-सम्मान करते हैं, कल्याणकारी, मंगल, देव और प्रशस्त चित्त वाले भावितात्मा अनगार की पर्युपासना करते हैं। वे भावितात्मा अनगार के बीचोंबीच होकर नहीं जाते। गौतम! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है कोई जाता है, कोई नहीं जाता। ३१. भंते! महाकाय-महाशरीर-असुरकुमार भावितात्मा अनगार के बीचोंबीच होकर जाता है?
पूर्ववत्। इसी प्रकार देव-दण्डक वक्तव्य है यावत् वैमानिक की वक्तव्यता। ३२. भंते! नैरयिकों में सत्कार-सम्मान, कृति-कर्म, अभ्युत्थान, अंजलि-प्रग्रह, आसन-अभिग्रह, आसन-अनुप्रदान, आते हुए के सामने जाना, स्थित की पर्युपासना करना, जाते हुए को पहुंचाना आदि होता है? यह अर्थ संगत नहीं है। ३३. भंते! असुरकुमारों में सत्कार, सम्मान यावत् जाते हुए को पहुंचाना आदि होता है?
हां, होता है। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार की वक्तव्यता। पृथ्वीकायिक यावत् चतुरिन्द्रिय-ये नैरयिक की भांति वक्तव्य हैं। ३४. भंते! पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों में सत्कार यावत् जाते हुए को पहुंचाना आदि होता है?
हां, होता है। आसन-अभिग्रह और आसन-अनुप्रदान नहीं होता। ३५. भंते ! मनुष्यों में सत्कार, सम्मान, कृतिकर्म, अभ्युत्थान, अंजलि-प्रग्रह, आसन-अभिग्रह,
आसन-अनुप्रदान, आते हुए के सामने जाना, स्थित की पर्युपासना करना, जाते हुए को पहुंचाना आदि होता है?
हां, होता है। वाणमंतर, ज्योतिष्क और वैमानिकों की असुरकुमारों की भांति वक्तव्यता। ३६. भंते! अल्पर्धिक-देव महर्द्धिक-देवों के बीचोंबीच होकर जाते हैं?
यह अर्थ संगत नहीं है। ३७. सम-ऋद्धि वाला देव सम-ऋद्धि वाले देव के बीचोंबीच होकर जाता है?
यह अर्थ संगत नहीं है। यदि प्रमत्त हो तो जा सकता है। ३८.भंते! क्या वह शस्त्र से प्रहार कर जाने में समर्थ है? प्रहार किए बिना जाने में समर्थ है?
गौतम! प्रहार कर जाने में समर्थ है। प्रहार किए बिना जाने में समर्थ नहीं है। ३९. भंते! क्या वह पहले शस्त्र से प्रहार करता है, पश्चात् बीचोंबीच होकर जाता है? क्या पहले बीचोंबीच होकर जाता है, पश्चात् शस्त्र से प्रहार करता है? गौतम ! पहले शस्त्र से प्रहार करता है, पश्चात् बीचोंबीच होकर जाता है। पहले बीचोंबीच
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