Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४, २, ७, ६३.] वेयणमहाहियारे वेयणभावविहाणे अप्पाबहुअं
[३६ णामवेयणा भावदो जहणिया अणंतगुणा ॥ ५७॥ गोदवेयणा भावदो जहणिया अणंतगुणा ॥ ५८ ॥ सुगमं । वेदणीयवेयणा भावदो जहणिया अणंतगुणा ॥ ५६ ॥ सुगमं ।
आउअवेयणा भावदो उक्कस्सिया अणंतगुणा ॥ ६०॥ सुगमं ।
णाणावरणीय-दंसणावरणीय-अंतराइयवेयणा भावदो उक्कस्सिया तिण्णि वि तुल्लाओ अणंतगुणाओ ॥ ६१ ॥
सुगमं । मोहणीयवेयणा भावदो उक्कस्सिया अणंतगुणा ॥ ६२ ॥ सुगमं ।
णामा-गोदवेयणाओ भावदो उक्कस्सियाओ दो वि तुल्लाओ अणंतगुणाओ॥ ६३ ॥
सुगमं । उससे भावकी अपेक्षा नामकर्मकी जघन्य वेदना अनन्तगुणी है ॥ ५७ ॥ उससे भावकी अपेक्षा गोत्रकर्मकी जघन्य वेदना अनन्तगुणी है ॥ ५८ ॥ यह सूत्र सुगम है। उससे भावकी अपेक्षा वेदनीयकी जघन्य वेदना अनन्तगुणी है ॥५९॥ यह सूत्र सुगम है। उससे भावकी अपेक्षा आयुकी उत्कृष्ट वेदना अनन्तगुणी है ॥ ६० ॥ यह सूत्र सुगम है।
उससे भावकी अपेक्षा ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तरायकी उत्कृष्ट वेदनायें तीनों ही तुल्य होकर अनन्तगुणी हैं ॥ ६१ ॥
यह सूत्र सुगम है। उनसे भावकी अपेक्षा मोहनीयकी उत्कृष्ट वेदना अनन्तगुणी है ॥ ६२ ॥ यह सूत्र सुगम है।
उससे भावकी अपेक्षा नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट वेदनायें दोनों ही तुल्य होकर अनन्तगुणी हैं ॥ ६३ ॥
यह सूत्र सुगम है।
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