Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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वेयणमद्दाहियारे वेयणभावविहाणे विदिया चूलिया
पंचसमइयाणि अणुभागबंधज्भवसाणहाणाणि
२, ७, २३१. ].
लोगा ॥ २३१ ॥
चदुसमइयपाओग्गअणुभागबंधहाणेसु जमुक्कस्साणुभागबंधहाणं तत्तो उवरिमअणुभागबंधाणं पंचसमइयं । तमणुभागबंधहाणमादिं कारण असंखेजलोगमेत्तअणुभागधाणि पंचसमइयाणि, एगसमयमादि काढूण उकस्सेण पंचसमयं वज्यंति ति उत्तं होदि ।
एवं छसमइयाणि सत्तसमइयाणि असमइयाणि अणुभागबंधज्झवसाणहाणाणि असंखेज्जा लोगा ॥ २३२ ॥
पंचसमइया अणुभागबंधहाणेहिंतो उवरि असंखेज्जलोग मेत्ताणि अणुभागबंधट्ठाणाणि छसमइयाण होंति । तेहिंतो उवरि सत्तसमइयाणि 'अणुभागबंधहाणाणि असंखेजलोगमेत्ताणि होंति । तेहिंतो उवरि अहसमइयाणि अणुभागबंधद्वाणाणि असंखेज्जलोग मे चाणि होंति ।
पुणरवि सत्तसमइयाणि अणुभागवंधज्भवसाणाणाणि असंखेज्जा लोगा ॥ २३३ ॥
असमय अणुभागबंधट्ठाणेहिंतो हेट्ठा जेण अणुभागबंधडाणाणि सत्तसमइयपाओसमाधान - वे स्वभावसे ही चार समयके आगे नहीं बंधते हैं ।
पाँच समयवाले अनुभागवन्धाध्यसानस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं ।। २३१ ॥ चार समय योग्य अनुभागबन्धस्थानोंमें जो उत्कृष्ट अनुभागबन्धस्थान है उससे आगेका अनुभागबन्धस्थान पाँच समयवाला है । उस अनुभागबन्धस्थान से लेकर असंख्यात लोक प्रमाण अनुभागबन्धस्थान पाँच समयवाले हैं, अर्थात् वे एक समयसे लेकर उत्कर्ष से पाँच समयतक बंधते हैं ।
इस प्रकार छह समय, सात समय और आठ समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं ॥ २३२ ॥
[ २०३
असंखेज्जा
पाँच समय योग्य स्थानोंसे आगे असंख्यात लोक प्रमाण अनुभागबन्धस्थान छह समय योग्य हैं। उनसे आगे सात समय योग्य अनुभागबन्धस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं। उनसे आगे आठ समय योग्य अनुभागबन्धस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं ।
फिरसे भी सात समय योग्य अनुभागबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यात लोक प्रमाण हैं ॥ २३३ ॥
चूँकि आठ समय योग्य अनुभागबन्धस्थानोंके नीचे सात समय योग्य अनुभागबन्धस्थानोंकी १ मप्रतौ श्रयं सदृष्टिः नीपलभ्यते शेषप्रतिषु तु अस्ति ।
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