Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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छक्खंडागमे वेयणाखंडं ... .. [४, २, ७, २६८. जवमज्झस्स उवरि कंदयस्स हेट्टदो फोसणकालो असंखेजगुणो ॥ २६८॥[७।६। ५ ]
किं कारणं ? जदि वि सत्त-छ-पंचसमयपाओग्गहाणाणि तिसमय-विसमयपाओग्गट्ठाणाणं असंखेज्जदिभागो तो वि एदेसि फोसणकालो असंखेज्जगुणो, मझिमपरिणामेहि असंखेज्जवारं परिणमिय सइं तिसमय-विसमयपाओग्गट्टाणगमणुवलंभादो'।
कंदयस्स उवरि जवमज्झस्स हेट्टदो फोसणकालो तत्तियो चेव ॥ २६६ ॥ [७।६। ५]
कुदो ? समाणसंखत्तादो' मज्झिमपरिणामेहि बज्झमाणत्तणेण भेदाभावादो च । जवमझस्स उवरि फोसणकालो विसेसाहिओ ॥३०॥
[७।६।५।४।३।२] सत्त-छ-पंचसमयपाओग्गहाणफोसणकालस्सुवरि चदु-ति-दोण्णि-समयपाओग्गढाणाणं फोसणकालप्पवेसादो । केत्तियमेत्तो विसेसो ? सत्त-छ-पंचसमयपाप्रोग्गहाणाणं फोसणकालस्स असंखेज्जदिमागो।
. उससे यवमध्यके ऊपर और काण्डकके नीचे स्पर्शनका काल असंख्यातगुणा है ॥२९८॥ [७।६।५]
शंका- इसका कारण क्या है?
समाधान-यद्यपि सात, छह और पाँच समय योग्य स्थान तीन समय व दो समय योग्य स्थानोंके असंख्यातवें भाग हैं तो भी इनका स्पर्शनकाल असंख्यातगणा है, क्योंकि, मध्यम परिणामोंके द्वारा असंख्यात बार सात, छह और पाँच समय योग्य स्थानों में परिभ्रमण करके एक बार तीन समय व दो समय योग्य स्थानों में गमन पाया जाता है।
काण्डकके ऊपर और यवमध्यके नीचे स्पर्शनकाल उतना ही है ।। २९९ ॥ [७।६। ५]
इसका कारण यह है कि एक तो उनकी संख्या समान है, दूसरे मध्यम परिणामों के द्वारा बध्यमान स्वरूपसे उनमें कोई भेद भी नहीं है। . उनसे यवमध्यके ऊपर स्पर्शनकाल विशेष अधिक है ॥ ३०० ॥
[७।६।५।४।३।२] कारण कि सात, छह व पाँच समय योग्य स्थानोंके स्पर्शनकालके ऊपर चार, तीन व दो समय योग्य स्थानोंके स्पर्शनकालका यहाँ प्रवेश है। विशेषका प्रमाण कितना है ? वह सात, छह व पाँच समय योग्य स्थानों सम्बन्धी स्पर्शनकालके असंख्यातवें भाग मात्र है।
१ ताप्रती -दाणाणमणुवलंभादो' इति पाठः । २ मप्रतौ 'समयाणसंखत्तादो' इति पाठः । ....
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