Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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३७६ ]
छक्खंडागमे वेषणाखंडं
[ ४, २, १३, ३.
सह तिविहो सणियासो किण्ण जायदे ? ण एस दोसो, दुसंजोगस्स पादेकंत भावेण '
तस्स
अणुवलंभादो ।
जो सो सत्थाणवेयणसण्णियासो सो दुविहो– जहण्णओ सत्थाणवेयणसण्णियासो चेव उक्कस्सओ सत्याणवेयणसण्णियासो चेव ॥३॥ एवं सत्थाणवेयणसण्णियासो दुविहो चैव, जहण्णुक्कस्से हि विणा तदिय वियप्पाभावादो । जो सो जहण्णओ सत्याणवेयणसण्णियासो सो थप्पो ॥ ४ ॥
किम थप्पो कीरदे १ दोष्णमकमेण परूवणोवायाभावादो । उक्कस्सो किण्ण थप करदे ? ण एस दोसो, उक्कस्ससणिया से अवगदे तत्तो तदुप्पत्तीए जहण्णसण्णियासो सुहेणावगम्मदि त्ति मणेणावहारिय तस्स थप्पभावीकरणादो । पच्छाणुपुच्ची णिरुद्धा ति वा सो थप्पो ण कीरदे ।
जो सो उक्कस्सओ सत्थाणवेयणसण्णियासो सो चउव्विहोदव्वदो खेत्तदो कालदो भावदो चेदि ॥ ५ ॥
समाधान- यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, दोनोंके संयोगका प्रत्येकमें अन्तर्भाव होनेसे वह पृथकू नहीं पाया जाता है ।
जो वह स्वस्थान वेदनासंनिकर्ष है वह दो प्रकारका है— जघन्य स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष और उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष || ३ ॥
इस प्रकार से स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष दो प्रकारका ही है, क्योंकि, जघन्य और उत्कृष्टके सिवा तीसरा कोई भेद नहीं है ।
जो वह जघन्य स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष है उसे स्थगित किया जाता है ॥ ४ ॥ शंका-उसे स्थगित क्यों किया जा रहा है ?
समाधान - चूंकि दोनों की प्ररूपणा एक साथ नहीं की जा सकती है, अतः उसे स्थगित किया जा रहा है ।
शंका - उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष को स्थगित क्यों नहीं किया जाता है ?
समाधान - यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, उत्कृष्ट संनिकर्षके परिज्ञात हो जानेपर उससे उत्पन्न होनेके कारण जघन्य संनिकर्षका ज्ञान सुखपूर्वक हो सकता है, ऐसा मनमें निश्चित करके उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्षको स्थगित नहीं किया गया है । अथवा, पश्चादानुपूर्वीकी विवक्षा होने से उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्षको स्थगित नहीं किया जाता है ।
जो वह उत्कृष्ट स्वस्थानवेदनासंनिकर्ष है वह चार प्रकारका है - द्रव्यसे, क्षेत्र से, कालसे और भावसे ॥ ५ ॥
१ ताप्रती ' पादेकं तब्भावेण' इति पाठः । २ अ ा प्रत्योः 'सण्णियासो अवगदे', काप्रतौ 'सण्णियासो अवगमदे' इति पाठः ।
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