Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१७२ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ७, २१४. गहिदसेसखेतमेत्तियं होदि|३४|
एदं खेचमायामेण अहखंडाणि कादण विक्खंभस्सुवरि संधिदे चत्तारिखंड विक्खंभ-पंचखंडायाम खेत्तं होदि __ एदं पंचखंड विक्खंभ-इगिदालखंडायामखेत्तस्स सीसम्हि हविदे पंचखंड विक्खंभं पणदालखंडायामखेत्तं होदि
एवं तिण्णिखंडाणि कादण एगखंड विक्खंभस्सुवरि सेसदोखंडविक्खंभेसु ढोइदेसु विक्खंभायामेहि पण्णारसखंडमेत्तं समचउरसखेत्तं होदि
एवं घेत्तण पण्णारसखंडविक्खंभइगिदालखंडायामखेत्तस्स सीसम्मि दृविदे पण्णारसखंडविक्खंभ-छप्पण्णखंडायामखेत्तं होदि
आयामछप्पण्णखंडेसु उक्स्ससंखेजमेत्तपिसुलाणि होति । उक्कस्ससंखेजमेत्तपिसुलेहि वि एगो सगलपक्खेवो होदि, एगसगलपक्खेवे उकस्ससंखेज्जेण खंडिदे एगपिसुलुवलंभादो। तम्हा एत्थ पण्णारसखंडमेत्ता सगलपक्खेवा लभंति । एदेसु सगलपक्खेवेसु इगिदालखंडमेत्तसगलपक्खेवेसु पक्खित्तेसु छप्पण्णखंडमेत्ता सगलपक्खेवा होति । ते च सव्वे मेलिदूण एगं जहण्णहाणं, छप्पण्णखंडमेत्तसगलपक्खेवेहि उक्कस्ससंखेजमेत्तसगलपक्खेवउप्पत्तीदो । उकस्ससंखेजमेत्तपक्खेवेहि
इतना होता है । इस क्षेत्रके आयामकी ओरसे आठ खण्ड करके विष्कम्भके ऊपर जोड़ देनेपर चार खण्ड विष्कम्भ और पाँच खण्ड आयाम युक्त क्षेत्र होता हैं ४५। इसको पाँच खण्ड विष्कम्भ और इकतालीस खण्ड आयाम युक्त क्षेत्रके शिरके ऊपर स्थापित करनेपर पाँच खण्ड विष्कम्भ और पैंतालीस खण्ड आयाम युक्त क्षेत्र होता है ५५ । इसके तीन खण्ड करके एक खण्ड के विष्कम्भके ऊपर शेष दो खण्डोंके विष्कम्भको जोड़ देनेपर विष्कम्भ और आयामसे पन्द्रह खण्ड मात्र समचतुष्कोण क्षेत्र होता है १५१५। इसको ग्रहणकर पन्द्रह खण्ड विष्कम्भ
और इकतालीस खण्ड आयाम युक्त क्षेत्रके शिरपर स्थापित करनेपर पन्द्रह खण्ड विष्कम्भ और छप्पन खण्ड आयाम युक्त क्षेत्र होता है १५५५ । आयामके छप्पन खण्डोंमें उत्कृष्ट संख्यात मात्र पिशुल होते हैं । उत्कृष्ट संख्यात मात्र पिशुलोंसे भी एक सकल प्रक्षेप होता है. क्योंकि, एक सकल प्रक्षेपको उत्कृष्ट संख्यातसे खण्डित करनेपर एक पिशुल पाया जाता है। इसलिये इसमें पन्द्रह खण्ड मात्र सकल प्रक्षेप पाये जाते हैं। इन सकल प्रक्षेपोंको इकतालीस खण्ड मात्र सकल प्रक्षेपोंमें मिलानेपर छप्पन खण्ड मात्र सकल प्रक्षेप होते हैं। वे सब मिलकर एक जघन्य स्थान होता है, क्योंकि छप्पन खण्ड मात्र सकल प्रक्षेपों द्वारा उत्कृष्ट संख्यात मात्र सकल प्रक्षेप उत्पन्न होते हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org