Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१०६] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ७, १६६. क्खंमेण [ दिवड्डगुणहाणि-] आयामेण दिवड्डगुणहाणिट्ठाणंतरखेत्तस्सुवरि ठविदे सादिरेयदिवड्डगुणहाणी भागहारो होदि ।
___ संपहि तदियवग्गणकम्मपदेसपमाणेण सव्ववग्गणपदेसा केवचिरेण कालेण अवहिरिज्जंति ? सादिरेयरूवाहियदिवड्डगुणहाणिहाणंतरेण कालेण अवहिरिज्जंति । तं जहापुव्विल्लविरलणम्मि दिवड्डगुणहाणिमेत्तपढमवग्गणासु रूवं पडि तदियवग्गणपमाणे अवणिदे दिवड्डगुणहाणिमेत्ततदियवग्गणाओ लब्भंति । पुणो एककस्स रूवस्स उवरि दोदो-वग्गणविसेसा आगच्छति । संपहि तेसु तदियवग्गणपमाणेण अवहिरिजमाणेसु सादिरेयरूवमेत्तो अवहारकालो लब्भदि । तं जहा-दुरूवूणदुगुणहाणिमेत्तवग्गणविसेसे घेत्तूण जदि एगं तदियवग्गणपमाणं होदि तो तिण्णिगुणहाणिमेत्तवग्गणविसेसाणं किं लभामो त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए सादिरेयमेगरूवमागच्छदि । पुणो अण्णेसु केत्तिएसु वग्गण विसेसु संतेसु विदियरूवमुप्पज्जाद त्ति भणिदे चदुरूवूणगुणहाणिमेतवग्गणविसेसेसु संतेसु उप्पज्जदि । एदम्मि दिवड्डगुणहाणिम्मि पक्खित्ते सादिरेयरूवेण अहियदिवड्डगुणहाणी भागहारो होदि । तिस्से पमाणमेदं १९२ । एदेण सव्वदव्वे भागे
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कम निषेकभागहार मात्र वर्गणाविशेष रूप विष्कम्भ व डेढ़ गुणहानि आयामसे डेढ़ गुणहानिस्थानान्तर क्षेत्रके ऊपर स्थापित करनेपर साधिक डेढ़ गुणहानि भागहार होता है।
अब तृतीय वर्गणाके कर्मप्रदेशोंके प्रमाणसे सब वर्गणाओंके प्रदेश कितने काल द्वारा अपहृत होते हैं ? साधिक एक अधिक डेढ़ गुणहानिस्थानान्तर काल द्वारा अपहृत होते हैं। यथापूर्वोक्त विरलनमें जो डेढ़ गुणहानि मात्र प्रथम वर्गणाऐं स्थापित हैं उनमें प्रत्येकमेंसे तृतीय वर्गणाके प्रमाणको घटानेपर डेढ़ गुणहानि मात्र तृतीय वर्गणाएं उपलब्ध होती हैं और एक एक अंकके ऊपर दो दो वर्गणाविशेष उपलब्ध होते हैं। अब उनको तृतीय वर्गणाके प्रमाणसे अपहृत करनेपर साधिक एक अंक प्रमाण अवहारकाल उपलब्ध होता है। यथा-दो अंक कम दो गुणहानि मात्र वर्गणाविशेषोंको ग्रहणकर यदि एक तृतीय वर्गणाका प्रमाण होता है तो तीन गुणहानि मात्र वर्गणाविशेषोंको ग्रहणकर कितनी तृतीय वर्गणाएं होंगी, इस प्रकार प्रमाणसे फलगुणित इच्छाको अपवर्तित करनेपर साधिक एक अंक आता है।
शंका-अन्य कितने वर्गणाविशेषोंके होनेपर द्वितीय अंक उत्पन्न होता है ?
समाधान-ऐसा पूछनेपर उत्तर देते हैं कि चार अंक कम गुणहानि मात्र अन्य वर्गणा. विशेषोंके होनेपर द्वितीय अंक उत्पन्न होता है।
__ इसको डेढ़ गुणहानिमें मिलानेपर साधिक एक अङ्क अधिक डेढ़ गुणहानि भागहार होता है। उसका प्रमाण यह है-८४२-२= १४; १४४१६ =३२४ तृतीय वर्गणा; ८४३४१६= ३८४; ३४ = ३४; १२ = १४, १४ + २४ = १३ । इसका समस्त द्रव्यमें भाग देनेपर तृतीय वर्गणाका प्रमाण होता है-३०७२ १४ २२४ ।
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