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प्रश्नोत्तरचत्वारिंशत् शतक थयां जाइ, तिहां साध्वीना आचार्य तथा उपाध्याय २ ठाणइ अथ ३ ठाणइ साध्वीयांनइ तेहनइ क्षेत्रि पहुचावइ परं साध्वीयां साथि संघाडाबद्ध थई विहार न करिवउ, अथवा जे साध्वीयांनइ क्षेत्रांतरि पहुचाविवा जाइ ते साध्वीनउ बाप तथा भाई साथि थकउ पहुचावइ, पुणि गृहवासना सम्बन्धी स्त्री भत्तारादिक जे यतिनइ थाइ ते यति साथि थइ न पहुचावइ, अथवा जे यति सहस्रयोधी थाइ ते साध्वीयांनइ क्षेत्रांतरि पहुचावइ, परं चोरादि मिल्यां थकां साध्वीनइ छांडी नासी जाइ ते किम साध्वीनइ क्षेत्रांतरि पहुचावइ ? अथवा जे यति वृद्धवय हवइ ते पहुचाव है, परं मोटीयार यति मोटीयार साध्वी तेह साथी विहार निषेध, एतलइ परिचय करी जेहनी माहोमांहि एकठा रहिवइ करी लाज मिटी हवइ ते एकठा विहार न करइ, वली जे यति देखता थकां साध्वी बीहइ ते यति साध्वीनइ क्षेत्रांतरि "हुचावइ, परं जेहने देखी साध्वी हसइ साध्वी देखी यति हसइ ते साध्वीयांनइ क्षेत्रांतरि न पहुचावइ, एवं सिद्धांतमांहि घणी यातनाविधि कहीछइ परं हिवणां संघाडाबद्ध घरनइ व्यवहारइ ओलखइ भणइ भणावइ गुणावइ वारवार उपासरइ आवइ जाइ माहोमांहि लाज भागी हवइ ते यतियां साध्वीयांनइ (अन्य ) क्षेत्रइ न पहुचावइ । आप राखी रमिस्यइ तेहनइ लाभ घणा थास्यइ, वीजाई गच्छांनी सांध्वी आपणइ मेलि यतना करती साहु विहार करइ छइ लोकापवाद टालइ छइ, संयम पुणि पालइ छ। एक मोटा साथनइ संयोगई खप करइ छइ । वली साधु-साध्वी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com