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प्रश्नोत्तर अडनालीसमो
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( तथा अस्तर मे ग्रंथ १ झ ५3, २ स प भो )
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५२ प्रश्न - तथा पजूमणना दिनमान आश्री जे लिख्या, तत्रार्थे - आसाढ चरमासी पडिकम्यां पछी 'वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोस वेंति x x x अंतराविय से कप्पइ मो से कप्पइतं रथं उवायणा वित्तए' इत्यादि दशाश्रुतस्कंध सिद्धांतना वचन थकी एहवा जारणीय जे आषाढ चउमासी पडिकम्या पछी मास १ अनइ वीसे दिहाडे अतिक्रम्ये, एतलइ चउमासा थकी पंचासे दिने गये श्रीसंवत्सरी पर्वनउ पडिकमणउ करण, एतलइ गृहिज्ञात संवत्सरी पडिकमणइ कीधइ स्थिति जाणिवी, एतलइ इहां मासना नाम नथी, किन्तु दिननी गणना छइ, एक मासना ३० दिन थाइ, तेह ऊपरि २० दिन थाइ, मास अनइ २० दिन मिल्यां पंचास दिन थाइ, अथवा पांचे दाहके गिण्यां पुर्णि पंचास दिन थाइ, एतलइ चउमासी पडिकम्या थकी ५० दिन गिणतां बिहु लेखे आइ, सिद्धांतमांहि मासना नाम नथी खार्या, इमं गिणतां ( चंद्रवर्ष ) सहजइ भाद्रव मास आवइ, परं जइ सिद्धांतमांहि 'सवीसइ राए मासे' इम न कहत भाद्रव मालना नामज खार्या होत, तथा पांच ( दिवसना ) दश (पंच) क नियुक्तिकाइ खार्या न होत तर पर्युषणा भाद्रवइ तथा श्रावण वधतइ ते मास कालचूलिकानइ मेलइ अधिकमास गिणतां भाद्रवादि चउथि आवत, परं ५० दिननी गणनामांहि मास संचार न थाइ, जइ तिथि वधती हुबइ तउ तिथि कालचूलाइ न गिगाइ, एतल्यां तिथ्यांमांहि जइ कांइ तिथि घटइ तर 'अंतरावि य से कप्पर' इणइ
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