Book Title: Prashnottar Chatvarinshat Shatak
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Paydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
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प्रश्नोत्तर चत्वारिंशत् शतक
था अउ छउ ? जे भणी श्रीहेमाचार्यनइ 'कलिकाल केवली' ए बिरुद कहाइ छइ, एवं परीछे ज्यो ।
हिवरणां श्रीलाहोरमांहि श्री अकबर जलालदीन बादमाहि श्रीबृहत्खरतरगच्छनायक श्रीजिनमाणिक्यसूरिपट्टालंकार श्रीजिनचन्द्रसूरिजीनइ योग्यता जाणी खुसी थइनइ युगप्रधान नामई करी बोलाव्या, श्रीकर्मचन्द्र मन्त्रीश्वरइ याचकांनइ नव हाथीना दान आया, ५०० घोड़ा दान आप्या, नव गाम सवा कोडिना दान सर्व याचकांनइ दीधा, महामहोत्सव कीधा, लाहोरमांहि श्रमारि घोषणा गजावी, पातीसाही नवपति वजाई, श्रीयुगप्रधान नाम देतां श्रीपातिसाहिजीनइ श्रीकर्मचन्द्रमुहुतइ १२००० रूपईया १२ हाथी १२ घोडा २७ कसवीना नुक्कस पेस कीधा, तेहमाहि थकी श्रीजीयइ १२ रूपया खुसी थई लेई बीजा सर्व कर्मचंद्र मुहुतानइ बकस्या, इत्यादि महोच्छव करी सर्व लोक समक्ष श्रीयुग प्रधान नाम थया, तर तेहना शिष्य जइ तेहना श्रावक तेहनइ युगप्रधानइ कहइ तउ स्यउ दोष थाइ ? देवताना दीधा नाम महावीर माता पिताना दीघा नाम वर्द्धमान, गुरुना दीधा नाम कुमुदचन्द्र ठाकुरना दीधा नाम नगदल मिलक रायराणा महता प्रमुख मनाइ छइ, बालकांना दीधा कोणिक तथा पिताना दीधा श्रेणिकना नाम भंभासार इत्यादि नाम सहु मानइ छइ, ते भरणी श्रीयुग प्रधाननइ नाभि तुम्हे दूहवाअउ ते स्युं ?
वली आज प्रभु श्रीमहावीररह शासन कियइई आचार्यना 'जगतगुरु' एहवा नाम कह्या हवइ तउ जोइयइ, तर तुम्हारा
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