Book Title: Prashnottar Chatvarinshat Shatak
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Paydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
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प्रश्नोत्तर चत्वारिंशत् शतक
सूरि नवांगी वृत्तिकारक ते खरतर गच्छइ हुआ समस्त दर्शनीने मार्खि सही पत्तनीय समस्तदर्शनिभिः विचार्य मतं लिखितं ।
( श्र वातनो समर्थन करता ग्रंथो ) - श्रीतपागच्छीय श्रीहेमहंमसूरिकृत कल्पांतर्वाच्ये १, भावहडा कृत गुरुप प्रभावकग्रन्थे २, श्रीतपापक्ष लघुशाला पट्टावल्यां ३, कुतुबपुरा तपा कृतांतवच्ये ४, तपाकृत आचारप्रदीपग्रन्थे संदेहदोलावली ग्रन्थ स्वरतरकृत, तेहनी साखि दीवी छइ ५, श्रीजिनवल्लभसूरिकृत दउढमइया कर्मग्रन्थवृत्तौ श्रीचित्रवालगच्छीय श्रीधनेश्वरसूरिकृतायां परम्परा साधकत्वेन ६, तपा कल्याणरत्नसूरिप्रबन्धग्रन्थे , तपा श्रीकल्याणरत्नसूरिवगणां चिरंतन टिप्पनकद्वये ८-६, साधुपूर्णिमा ( गुर्वावली ) ग्रन्थे पट्टावल्यां १०, छापरीया पूनमीया पट्टावल्ल्यां ११, श्रीगुरुपर्वावलीग्रन्थे १२, तपाकृतोपदेशसप्ततिकायां १३, प्रभावक चरित्रे ( प्रभाचन्द्रसूरिकृते) २५ (१३) सर्गे श्लोक ५५ थकी ९५ श्लोक लगइ श्रीअभयदेवसूरिचरित्रं १४, श्रीपल्लीवालगच्छीय भट्टारक श्री आमदेवसूरिकृते प्रभावकचरित्रे गद्यमये १५, पीपलीया श्री उदयरत्नसूर प्रारं (भितायां ) भेण (?) श्रीजीवानुशासनवृत्तौ १६ ।
मूल खत समस्त दर्शननउ लिख्यउ श्रीपाटणनइ भंडारि छs, तेह उपरि यथास्थित नव्यजि करी लिख्यउ छइ एतलइ मगले जैन दर्शनीए श्रीनवांगी वृत्तिकार श्री अभयदेवसूरि खरतर गच्छनायक कह्या तउ तुम्हे नथी विचारता ? जे एतला गच्छना गीतार्थ तथा तपागच्छीय गीतार्थना लिख्या नथी मानता ते म्युं ? वली तपा श्री सोममुन्दरकृत साठिसया ग्रंथना बालावबोधमांहि श्रीजिन
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