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प्रश्नोत्तर चत्वारिंशत् शतक (તપ ખરતર ભેદ ગ્રંથ ૧ બેલ ૧૩૩ મે). १३२ प्रश्न तथा दुःखर्भा कालि २००४ युगप्रधान आश्री लिख्या ते जाण्या, परं तत्रार्थे-श्रीसुर्मास्वामी आदि देई दुप्पमह सूरितांई युगप्रधान तुम्हारइ गुरु श्रीदेवेन्द्रसूरिइं लिख्या ते जाण्या, परं एहवा विचार किणइई जूने भाष्य चूर्णि वृत्ति प्रमुख ग्रन्थे हरिभद्रसूरि श्रीशीलांकाचार्य प्रमुख गीतार्थे लिख्या हवइ तउ मनाइ. अन्यथा तेहना जे संतानीया हुवइ ते मान्याजि करइ, तथा श्रीमहावीरना प्रथम गणधरनइ ईयइ 'दूममदंडिका' ग्रन्थनइ मेलि युगप्रधान कहीयइ कि न कहीयइ ? श्रीमहावीर मोक्ष पहुंना पछी १५ वर्ष श्रीगौतमस्वामिइं तीर्थ चलाव्य उ शास्त्रे काउ छई, ए भाव विचारिवउ । अपरं श्रीसुधर्मास्वामि तथा श्रीवयरस्वामि पखइ ईयइ दूसमदंडिकानइ मेलि जि कोइ युगप्रधान जाण्या हवइ तउ नाम लेइ जणावेज्यो जिम तेहनइ युगप्रधानांनी ओलिमांहि गिणीजइ, तेहवउ अतिशयवंत प्राचार्य ज्ञानी कोई ईयइ खेत्रि नहीं जाणीतउ, जे केहनइ आपण मानीयइ ते अतिशयवंत कह्याइ सद्दया ।
वली कोइ समकितधारी देवता आराध्य उ थकउ युगप्रधान नाम खारी प्राचार्यनइ कहइ तउ मनाइ, आपण विशेषइ न जाणीयइ अनइ युगप्रधानना विरह पुणि आपणवतइ कह्या न जाइ, ज्ञान तप चारित्र अतिशयना घणा २ फेर दीसइ छइ तउ किम सममि पडइ ? तथा वयरस्वामीना शिष्य श्रीवयरसेन तेहनी इन्द्र चन्द्र नागेन्द्र निवृतिक नामइ च्यारि शाखा थई तेहमांहि कोई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com