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ज्ञानार्णवः
प्रकरण
पृष्ठांक
श्लोकांक १२८-१३० १३१-१३९ १४०-१४८ १४९-१७० १७१-१७७ १७८-१९० १९१-१९३
विषय संवर और उसके भेद संवरका स्वरूप और फल निर्जरा-स्वरूप, भेद तथा फल धर्म और उसकी श्रेष्ठता लोकका स्वरूप रत्नत्रयस्वरूप मोक्षकी दुर्लभता द्वादश भावनाओंका महत्त्व
६६-६८ ६९-७१ ७२-७८ ७८-८० ८०-८३ ८४-८५
१-३५*१
ध्यानलक्षण
१-५
६-१४ १५-२५ २६-३५*१
नरजन्मको दुर्लभता और चार पुरुषार्थ मोक्षका स्वरूप और मोक्षप्राप्तिका कारण ध्यानकी सामग्री और फल ध्यानके तीन भेद और फल
८६-१६ ८६-८७ ८७-८९ ९०-९२
१-६०
१-५ ६-८ ९-१७ १८-२१ २१+१-२७ २७२१-६०
ध्यानगुणदोष ध्यानके भेद ध्याताके गुण घरमें रहनेसे ध्यानसिद्धि नहीं मिथ्याष्टिसे भी ध्यान सिद्धि नहीं मिथ्यादर्शनोंके भेद ध्याताके दोष
९७-१२२ ९७-९९ ९९-१०० १०१-१०३ १०४-१०६ १०६-१०९ ११०-१२२
१-२८२१ १-१९
योगिप्रशंसा
१२३-१३३ योगियोंका स्वरूप-मनकी स्थिरता, तप, निःसंगता, पवित्र आचरण आदि योगियोंके गुण हैं
१२३-१२७ योगियोंकी प्रशंसा
१२८-१३३
२०-२८१
१-५८
१३४-१५८
१-४२१ ५-६४ ७-७१
१३४-१३५ १३५-१३७ १३७-१३८
दर्शनविशुद्धि सम्यक् दर्शन, ज्ञान और चारित्रसे ही मोक्ष सम्यग्दर्शनका स्वरूप और भेद सम्यग्दर्शनके दोष जीव, अजीव आदि सात तत्त्व जीवतत्त्वका वर्णन पाँच द्रव्य और उनका स्वरूप-(अजीव तत्त्व) बन्धतत्त्वका वर्णन सम्यग्दर्शनकी प्रशंसा
९-२४ २५-४४ ४५-४८२१ ४९-५८
१३९-१४४ १४६-१५३ १५४-१५५ १५५-१५८
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