Book Title: Gyanarnav
Author(s): Shubhachandra Acharya, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 732
________________ -११२ ३५. पदस्थध्यानम् ६४३ 2023 ) सिवर्ण मस्तकाम्भोजे साकारं मुखपङ्कजे । आकारं कण्ठकञ्जस्थं स्मरोंकारं हृदि स्थिरम् ॥१०९ [॥ अ सि आ उ सा ।।] 2024 ) सर्वकल्याणबीजानि बीजान्यन्यान्यपि स्मरेत् । यान्याराध्य शिवं प्राप्ता योगिनः शीलसागराः ॥११० ॥ नमः सर्वसिद्धेभ्यः । 2025 ) श्रुतिसिन्धुसमुद्भूतमन्यद्वा पदमक्षरम् । तत्सर्व मुनिभिर्येयं स्यात्पदस्थप्रसिद्धये ॥१११ 2026 ) एवं समस्तवर्णेषु मन्त्रविद्यापदेषु च । कार्यः क्रमेण विश्लेषो लक्ष्याभावप्रसिद्धये ॥११२ 2023) सिवर्णम्-मस्तकाम्भोजे सिवर्ण साकारं मुखकमले। कण्ठकञ्जस्थं कण्ठकमलस्थम् आकारम् । ओंकारं हृदि स्थितम् । इति सूत्रार्थः ॥१०९।। अथ पूनमन्त्रमाह। 2024) सर्वकल्याण-बीजानि असिआउसा [ न्य ] न्यानि अपि स्मरेत् । कीदृशानि । सर्वकल्याणबीजानि । शेषं सुगमम् । इति सूत्रार्थः ॥११०॥ नमः सर्वसिद्धेभ्यः । 2025) श्रुतिसिन्धु-श्रुतिसिन्धुः श्रुतसागरः तस्मात् समुद्भूतं जातम् अन्यद्वा। पदम् अक्षरम् । शेषं सुगमम् । इति सूत्रार्थः ।।१११।। अथ पुनस्तदाह । 2026) एवं समस्त- लक्ष्यभावप्रसिद्धये लक्षणीयस्वरूपसिद्धये कार्यः। क्रमेण विश्लेषः कार्यः । क्व । समस्तवर्णेषु । शेषं सुगमम् । इति सूत्रार्थः ।।११२॥ अथ पुनस्तदाह । सिद्धचक्रम् । द्वापञ्चाशदक्षरमध्ये प्रथमम् । समस्तान् अक्षरान् मुखं प्रथमम् (?)। अतिरिक्त 'सि'वर्णका मस्तककमलके ऊपर, 'आ' वर्णका कण्ठकमलके ऊपर स्थित रूपमें, 'उ' वर्णका हृदयमें स्थित रूपसे तथा 'सा' वर्णका मुखकमलके ऊपर स्थित रूपसे स्मरण करना चाहिए । अभिप्राय यह है कि नाभिकमल आदि उक्त पाँच स्थानोंमें वर्णक्रमसे अवस्थित 'अ सि आ उ सा' इस पाँच वर्णमय मन्त्रका ध्यान करना चाहिए ॥१०८-१०९।। इनके अतिरिक्त जिन अन्य बीजपदोंका भी आराधन करके शीलके समुद्रस्वरूप योगी जन मुक्तिको प्राप्त हुए हैं तथा समस्त कल्याणोंके कारण हैं उन अन्य वीजपदोंका-'नमः सर्वसिद्धेभ्यः' आदि मन्त्रोंका-भी योगीको स्मरण करना चाहिए ॥११॥ अन्य भी जो अक्षर-पद शास्त्ररूप समुद्रसे उत्पन्न हुए हैं--परमागममें वर्णित हैं-उन सबका इस पदस्थध्यानको सिद्ध करने के लिए मुनिको ध्यान करना चाहिए ॥१११॥ इस प्रकारसे समस्त वर्णों, मन्त्रपदों और विद्यापदोंके विषयमें भी शरीरके ( अथवा छल-कपटके ) अभावको सिद्ध करनेके लिए क्रमसे पृथक्करण करना चाहिए ॥११२।। १. N अवर्णं । २. M N सकारं। ३. All others except PM स्मरोकारं । ४. All others except P स्थितम् । ५. M L F add | ६. P बीजानान्यपि संस्मरेत् । ७. Only in P M | ८. All others except PN T कार्यक्रमेण । ९. All others except PM लक्ष्यभाव। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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