Book Title: Gyanarnav
Author(s): Shubhachandra Acharya, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
View full book text
________________
७३२
ज्ञानार्णवः
द्रव्य 414, 1660 द्रव्यपर्याय 1504 द्रव्यसंवर 180 द्रव्यादिचतुष्टय 1060*1,
165 F. द्विज 547 द्वीपायन 93 धन 848, 855, 862 धनिन् 849-50 F., 856 धर्म 201F,202 F, 220,414,
420-21, 1199, 1616,
2204 धर्मचक्राधिप 2178 धर्मचक्रिन् 2040 धर्मध्यान 1199, 1267,1616,
1621, 2112 F, 2125,
2139, 2140 F. धर्मध्यानस्वामिन् 1329 धर्मध्येय 1488 धर्म्य 1486 धारणा 1071, 1878 धूम 897 धैर्य 1071 ध्याता 288, 289,356, 1269,
1314 F.,1319,1322F., 1327, 1330, 1507 F.,
1916, 2108 ध्यान 197,258 F., 284, 288,
1058, 1071, 1184, 1195, 1201, 1334 F., 1470, 1507, 1512.,
1685, 2029, 2108 ध्यानकालवसति 1309 ध्यानतन्त्र 271, 319, 14.57 ध्यानप्रत्यय 1469 ध्यानप्रभाव 1909 ध्यानलक्षण 273-82
ध्यानविरुद्धस्थान 1267 F. ध्यानशास्त्र 2229 ध्यानसामग्री 261 ध्यानसिद्धि 1302 F., 1320
F., 2030 ध्यानस्थान 1302 F. ध्यानस्थिति 1323 F. ध्यानावलम्बिन 375 ध्यानावस्था 1323 F. ध्यानासन 1310 ध्यानिन 1931 ध्येय 288, 1487 F., 1502,
___1507 F., 2067, 2090 नभस् 4.14 नमः सर्व 2024 नय 1625, 1629, 2036 नरक 1704, 1750, 1769 नरककल्प 1749 नरकभूमि 1698 F. नरत्व 234,247 नरेन्द्र 10606 नवकेवललब्धि 2056 नाडिकाशुद्धि 1432 F. नाडी 1358 नाभिकमल 1436 नाम 1680 नास्तिक 328 निकाय 119 निकृति 989 निक्षेप 1625, 1628 निगोद 549 नित्यता 304 निदान 1060*1, 1203, 1214 निदानात 1215 नियम 1071 निरालम्ब 1620 निर्जरा 191, 396, 1650
निर्ममत्व 269,368 निर्वाण 706 निर्वेद 172, 198, 268, 333,
1033, 1489, 1990,
2125 निर्वेदपदवी 2120 निश्चय 1071 निःसंग 821, 823 नैराश्य 872 पञ्चगुणस्थान 1258 पञ्चतत्त्व 1969 पञ्चनमस्कार 1952, 1955 F. पञ्चमगुणस्थान 1258 पञ्चमयी विद्या 1969 पतङ्गमार्ग 1433 पदस्थ 1877, 1910 F.. 2025 परब्रह्मन् 352 परमतत्त्व 1934 परमसंवर 189 परमागम 181 परमात्मन् 1057,1060, 1490,
1492, 2107 परमेश्वर 1350, 2046 F. परमेष्ठिन् 1608 परमेष्ठिरूप 1556 F. परंज्योति 922, 1511 परात्मा 1517 परिग्रह 820, 836 परिग्रहदोष 819 परीषह 332, 840, 905 पर्यङ्क 905,1311, 1313 पर्याय 128 पवनप्रचार 1453 पातालसिद्धि 343 पादुका 343 पार्थिव 1363,1364 पाथिवी 1879 F.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828