Book Title: Gyanarnav
Author(s): Shubhachandra Acharya, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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श्लोकानुक्रमणिका
७२१
967
374
1042 1024 1031 1189
272 1982 1260 1765 189 499 902 1793 2030 2080 2029 789
953 854
785
वासीचन्दन वास्तु क्षेत्रं
822 विकल्पान
1356 विकसत्याशु
1346 विकीर्यते मनः
1288 विक्रमैकरसः
109 विघ्नबीजं विपन्मलं 1027 विचरन्त्यः कुशीलेषु 650 विचासत्य
538 विचारचतुरैः
47 विचित्रर्वध विजने जन विजने जन (change) 1323 विजन्तुकधरा
901 विज्ञातमपि
1500 विज्ञानविनयोद्दाम
1808 विज्ञानादित्रिवर्गे
311 विज्ञेयः संमुखे
1415 विडम्बन्ति जनाः 1297 विडम्बयत्यसौ
121 वित्तपुत्रकलत्रादि वित्तमेव मतं
575 वित्तवृत्तबलस्य
629 वित्तहीनो जरी 683 विदन्ति परमं
593 विद्यामण्डल
1909 विद्यां जपति
2006 विद्यां षड्वर्ण
1964 विधाय मायां
1000 विधाय वञ्चकं
1239 विधुर्वधूभिः
685 विद्धि वृद्धानुसेवेयं
781 विद्धयहिंसव
521 विध्याति कषायाग्निः
245 विनाञ्जनेन विनिर्गतमधूच्छिष्ट 2104 विनीतवेष
1839
विनीताः काम
1802 विन्ध्याद्रिनगर विपन्महापङ्क
296 विभ्रमन्विषयारण्ये 1094 विमानपथं
1896 विरज्य काम
269 विरज्य काम (change) 356 विरज्य काम (change) 603 विरज्य काम (change) 1149 विरज्याशेष
726 विरम विरम
812 विलयं वीतरागस्य 2197 विलीनविषयं
1104 विलीनाशेष 1686, 1875,
1906, 2032 विलोक्य भुवनं
37 विविच्य तद्गुण 2097 विवेकवाधि
1339 विशन्ति नरक
587 विशुद्धबोध
367 विशुद्धादर्श
1495 विशुद्धाष्टगुणोपेतं 1496 विशुध्यति जगत् 759 विशुध्यति हुताशेन 194 विश्वमूर्तिः परं विश्वरूपमवि
1493 विश्वविद्यासु
799 विश्वव्यापार
174 विश्वासानन्दयोः 1574 विषज्वलन
1736 विषमध्ये सुधा
679 विषयग्रास
1092 विषयविपिन
884 विषयविरति
592 विषयाशाभि
1014 विषयाशामपाकृत्य 1718 विषयेषु न
1579
विषयेषु भवेत् विषयेषु यथा विषस्य काल विषायते ऽमृतं विस्तरेणव विस्फुरन्तमति विस्फुलिङ्गनिभे विस्मृतं यदि विहाय कल्पना विहाय धर्म विहाय सर्व वीणामादाय वीतरागस्य वीतरागं स्मरन् वीतरागो भवेत् वृद्धानुजीविनां वृद्धोपदेश वेत्त्यविद्या वेदनीयं विदुः वेष्टयत्यात्मना वेष्टितः पवनः वैक्रियिकशरीरत्वात् वैरं पराभवं वैरिवारणदन्ताग्ने व्यतिरिक्तं तनोः व्यस्तः प्रथम व्यालानलगर व्योमाकारं व्रजन्तं तालु वजन्तं भुवनाभोगे व्रतश्रुतयम व्रती निःशल्य एव शक्यते न यथा शक्यते न वशी शक्रो ऽपि न शङ्काशोकभय शङ्खन्दुकुन्द
1526 1670 465 225 1756 1751
137
674
2059
1598 1386
217 2101 1984 1898
557
994 2221
293
672
878 1222 2002
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